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Chhattisgarh Forest Department : छत्तीसगढ़ राज्योत्सव 2025 में वन विभाग का स्टाल बना मुख्य आकर्षण

रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस (Chhattisgarh Foundation Day 2025) के रजत जयंती वर्ष पर नवा रायपुर में आयोजित राज्योत्सव में इस बार वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग (Chhattisgarh Forest Department) का स्टाल सबसे अलग दिखाई दिया। हरियाली से सजे इस स्टाल में विभाग की प्रमुख योजनाओं, पर्यावरण संरक्षण के अभिनव प्रयासों और जैव विविधता की समृद्ध झलक ने आगंतुकों का ध्यान खींच लिया।

‘एक पेड़ माँ के नाम’ योजना बनी चर्चा का केंद्र (One Tree For Mother Scheme)

विभाग के स्टाल में प्रधानमंत्री द्वारा वर्ष 2024 में शुरू की गई ‘एक पेड़ माँ के नाम (One Tree For Mother Scheme)’ पहल को केंद्र में रखा गया। इस योजना के तहत अब तक प्रदेश में लगभग 6.41 करोड़ पौधे रोपे जा चुके हैं, जिससे हरित आवरण में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
वहीं राज्य के विभिन्न शहरों में मियावाकी फॉरेस्ट (Miyawaki Forest) तकनीक से सूक्ष्म वन तैयार किए जा रहे हैं, जो जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में बड़ा कदम माने जा रहे हैं।

प्राकृतिक धरोहरों की डिजिटल प्रदर्शनी (Chhattisgarh Natural Heritage)

स्टाल में छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध प्राकृतिक स्थलों जैसे हांदावाड़ा जलप्रपात (Narayanpur), कुटुमसर गुफा (Kanger Valley National Park) और बारनवापारा अभयारण्य (Barnawapara Sanctuary) की डिजिटल जानकारी उपलब्ध कराई गई।
वन विभाग के अनुसार, काला हिरण (Blackbuck) की संख्या 77 से बढ़कर 190 हो गई है, जबकि बाघों की संख्या (Tiger Conservation) भी वर्ष 2021 के 17 से बढ़कर अप्रैल 2025 तक 35 तक पहुँच गई — जो राज्य में वन्यजीव संरक्षण की सफलता को दर्शाती है।

मानव-हाथी संघर्ष में कमी, ऐप और यात्रा से बड़ा बदलाव (Elephant Conservation Efforts)

विभाग की ‘गज संकेत ऐप (Gaj Sanket App)’ और ‘गजरथ यात्रा (Gajarath Yatra)’ जैसी पहलें मानव-हाथी संघर्ष को कम करने में अहम साबित हुई हैं। इन प्रयासों ने जमीनी स्तर पर जागरूकता बढ़ाई है और कई ग्रामीण क्षेत्रों में सुरक्षा उपायों को सशक्त किया है।
साथ ही, छत्तीसगढ़ हर्बल्स (Chhattisgarh Herbals) ब्रांड के माध्यम से राज्य के औषधीय पौधों को राष्ट्रीय पहचान दिलाने की दिशा में भी विभाग लगातार कार्यरत है।

बस्तर की संस्कृति और पर्यावरणीय परियोजनाओं की झलक (Bastar Culture & Green Cave Project)

स्टाल में कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान (Kanger Valley National Park) की ग्रीन गुफा परियोजना (Green Cave Project) और घोटुल संस्था (Ghotul Project) की जानकारी भी प्रस्तुत की गई। ये पहलें बस्तर की आदिवासी संस्कृति और पर्यावरणीय संरक्षण दोनों का उत्कृष्ट उदाहरण हैं।

आगंतुकों का उत्साह और पर्यावरणीय प्रेरणा

राज्योत्सव में पहुंचे आगंतुकों ने वन विभाग (Chhattisgarh Forest Department) के इस स्टाल को “रोचक, जीवंत और ज्ञानवर्धक” बताया। हरियाली, तकनीक और परंपरा के अनोखे संगम के रूप में यह स्टाल छत्तीसगढ़ के पर्यावरणीय विकास की सशक्त कहानी बयां कर रहा है।

Chaiपुर
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NU Desk

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