Chhattisgarh Silver Jubilee Mahotsav 2025: जनकल्याण और संस्कृति छत्तीसगढ़ की असली शक्ति – लक्ष्मी राजवाड़े”

(Chhattisgarh Silver Jubilee Mahotsav 2025) के शुभारंभ अवसर पर महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने सूरजपुर जिले में आयोजित तीन दिवसीय राज्योत्सव कार्यक्रम में कहा कि यह आयोजन केवल उत्सव नहीं, बल्कि छत्तीसगढ़ की आत्मा का उत्सव है। उन्होंने कहा कि यह रजत जयंती वर्ष हमारे राज्य की गौरवशाली यात्रा, संस्कृति और जनकल्याण की भावना का प्रतीक है।
“जनकल्याण और संस्कृति – यही छत्तीसगढ़ की पहचान”
मंत्री राजवाड़े ने अपने संबोधन में कहा कि छत्तीसगढ़ केवल “धान का कटोरा” (Chhattisgarh Culture and Welfare) नहीं, बल्कि संस्कृति का जीवंत प्रतीक है। यहाँ की लोककला, गीत, नृत्य और परंपराएँ हमारे जीवन की धड़कन हैं। उन्होंने कहा, “हमारी मिट्टी में रचा-बसा लोकजीवन हमें हमारी जड़ों से जोड़ता है और यही हमारी सबसे बड़ी शक्ति है।”
महिला सशक्तिकरण से सशक्त हुआ समाज
अपने उद्बोधन में मंत्री ने कहा कि बीते 25 वर्षों में राज्य ने महिला सशक्तिकरण, पोषण, शिक्षा और जनकल्याण के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार ने हर वर्ग के लिए “Inclusive Development” (Inclusive Development in Chhattisgarh) का मार्ग प्रशस्त किया है।
परंपरा और आधुनिकता का संगम
राजवाड़े ने कहा कि राज्य सरकार परंपरा को संरक्षित करते हुए आधुनिकता की दिशा में अग्रसर है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भर छत्तीसगढ़ का निर्माण “Culture with Progress” की भावना पर आधारित है। राज्य के विकास में जनसहभागिता और संस्कृति दोनों का समान योगदान है।
राज्योत्सव बना लोककला और उद्यमिता का मंच
अग्रसेन स्टेडियम ग्राउंड में आयोजित कार्यक्रम में जनजातीय लोकनृत्य, गीत, और लोककला प्रदर्शन ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। मंत्री राजवाड़े ने विभागीय स्टॉलों का अवलोकन किया, जहाँ “Women Entrepreneurship” ( Women Entrepreneurship in Chhattisgarh) और स्थानीय उत्पादों की झलक देखने को मिली। उन्होंने कहा कि यह मंच उभरते कलाकारों और स्थानीय उत्पादों को राज्य की पहचान देने में अहम भूमिका निभा रहा है।
संस्कृति से सशक्त होता छत्तीसगढ़
राजवाड़े ने कहा कि राज्योत्सव केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि हमारी एकता, प्रगति और परंपरा का उत्सव है। उन्होंने प्रदेशवासियों से अपील की कि वे अपनी सांस्कृतिक धरोहर को आगे बढ़ाते हुए “Vikas aur Sanskriti ke Sangam” की इस यात्रा में भागीदार बनें।



