भारत विभाजन की पीड़ा आज भी गूंजती है: सीएम विष्णु देव साय…

रायपुर। राजधानी रायपुर स्थित महंत घासीदास संग्रहालय के मुक्ताकाश मंच में आयोजित ‘भारत विभाजन विभीषिका दिवस’ राष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा कि देश का बंटवारा भारतीय इतिहास का ऐसा अध्याय है, जिसकी वेदना आज भी महसूस की जाती है। विभाजन के दौरान लाखों लोगों को अपने घर-परिवार, जमीन-जायदाद और मातृभूमि से दूर होना पड़ा। कई इलाकों में हिंसा और अशांति का माहौल था, कुछ लोग सुरक्षित लौट आए लेकिन अनेक अपने घर तक नहीं पहुंच पाए। अमृतसर स्टेशन जैसी घटनाएं आज भी उस दौर की पीड़ा का स्मरण कराती हैं।
सीएम साय ने कहा कि विभाजन के बाद भी भारत लौटे लोगों ने साहस और मेहनत से नया जीवन शुरू किया, जो प्रेरणादायक है। उन्होंने बताया कि 14 अगस्त को स्व. दिलीप सिंह जूदेव की पुण्यतिथि भी है। अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में केंद्रीय राज्यमंत्री रहे जूदेव का व्यक्तित्व विशाल और स्वभाव परोपकारी था। धरमजयगढ़ में उनकी पुण्यतिथि पर संस्कृति रक्षा महासम्मेलन और अभिनंदन समारोह का आयोजन हुआ।

मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग और संघर्ष का स्मरण करते हुए कहा कि आजादी का मूल्य तिरंगे के सम्मान में निहित है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर देशभर में तिरंगा यात्राएं और ‘हर घर तिरंगा’ अभियान ने इस राष्ट्रीय ध्वज को जन-जन से जोड़ दिया है।
संगोष्ठी के मुख्य वक्ता, वरिष्ठ विचारक और लेखक डॉ. सदानंद सप्रे ने विभाजन को भारतीय इतिहास का महत्वपूर्ण लेकिन दर्दनाक हिस्सा बताते हुए कहा कि एकजुट प्रयासों से भारत की एकता और अखंडता को और मजबूती मिलेगी।
अध्यक्षता कर रहे डॉ. युधिष्ठिर लाल महाराज ने कहा कि आने वाली पीढ़ियों को विभाजन के समय के कष्ट, विस्थापन और संघर्ष की जानकारी देना जरूरी है। उन्होंने बताया कि सिख और सिंधी समाज सहित कई समुदायों को उस समय बड़े पैमाने पर पलायन करना पड़ा, जो एक मानवीय संकट था।
कार्यक्रम के अंत में संस्कृति विभाग के संचालक विवेक आचार्य ने आभार व्यक्त किया। इस मौके पर सांसद बृजमोहन अग्रवाल, विधायक सुनील सोनी, मोतीलाल साहू, अजय जामवाल, पवन साय, साहित्य अकादमी के अध्यक्ष शशांक शर्मा, अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष अमरजीत छाबड़ा, छात्र-छात्राएं और अनेक गणमान्यजन मौजूद रहे।