‘बस्तर राइजिंग’ अभियान पहुंचा केशकाल: टाटामारी की धरा पर नवाचार और संस्कृति का संगम

केशकाल (कोंडागांव)। छत्तीसगढ़ शासन के जनसम्पर्क विभाग और बस्तर संभागीय प्रशासन के संयुक्त प्रयास से चल रहे विशेष अभियान ‘बस्तर राइजिंग’ की टीम आज केशकाल विकासखंड के टाटामारी पहुँची। अभियान के पहले दिन हिमाचल प्रदेश से आई नवाचारी टीम ने यहां के पुरातात्विक और प्राकृतिक स्थलों का अवलोकन किया और बस्तर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से रूबरू हुई।
प्राचीन धरोहरों का अध्ययन और प्रकृति की सुंदरता से रूबरू...
टीम ने सबसे पहले गोबरहीन में स्थित प्राचीन शिवलिंग का दर्शन किया और 6वीं शताब्दी के ऐतिहासिक गढ़ धनोरा के गौरवशाली अतीत को जाना। इसके पश्चात सदस्यों ने होनहेड़ जलप्रपात की अद्भुत प्राकृतिक सुंदरता का अवलोकन किया और क्षेत्र की प्राकृतिक संपदा की प्रशंसा की।

‘दिल मेला दिल में ला’ थीम पर आगे बढ़ता बस्तर राइजिंग अभियान...
“हार्मोनी फेस्ट 2025” के अंतर्गत चल रहे ‘बस्तर राइजिंग’ अभियान का उद्देश्य बस्तर की सांस्कृतिक, पर्यावरणीय और उद्यमशीलता क्षमताओं को राष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शित करना है। इस अभियान के तहत जनसम्पर्क विभाग द्वारा विशेषज्ञों, युवाओं, शिल्पकारों और स्थानीय समुदायों के बीच संवाद, कार्यशालाएं और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।

“दिल मेला दिल में ला” थीम पर आधारित इस पहल के माध्यम से बस्तर की प्रेरक कहानियां, नवाचार और लोक संस्कृति को राष्ट्रीय मंच पर विशेष पहचान दिलाने का प्रयास किया जा रहा है।
हिमाचल से आई टीम का उत्साह...
सात सदस्यीय नवाचारी दल में ‘प्लेसेज ऑफ पॉसिबिलिटीज़’ के संस्थापक प्रतुल जैन, तथा परीना सिंघल, पलक चौधरी, आयुषी कपूर, निष्ठा जोशी, सदफ अंजुम और फ्रानो डिसिल्वा शामिल हैं। टीम ने कहा कि बस्तर की मिट्टी में संस्कृति, कला और प्रकृति का अद्भुत संगम है, जो इसे भारत का एक जीवंत सांस्कृतिक केंद्र बनाता है।