रिटायर्ड सहायक प्लाटून कमांडर के विरुद्ध जारी वसूली आदेश पर रोक

बिलासपुर। सेवानिवृत सहायक प्लाटून कमांडर की याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने वसूली आदेश पर रोक लगा दी है। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए निर्णय के साथ ही राज्य शासन द्वारा बनाए गए मापदंड का हवाला दिया है। सकरी, बिलासपुर निवासी महेन्द्र सिंह ने अधिवक्ता अभिषेक पांडेय व दुर्गा मेहर के माध्यम से हाई कोर्ट में रिट याचिका दायर की है।
इसमें कहा है कि दूसरी बटालियन सकरी जिला बिलासपुर में सहायक प्लाटून कमांडर के पद पर पदस्थ थे। सेवाकाल के 62 वर्ष पूर्ण करने पर 30 अप्रैल 2023 को सेनानी दूसरी बटालियन द्वारा उन्हें सेवानिवृत्त कर दिया गया। सेवानिवृत्ति के तीन माह पश्चात सेनानी दूसरी बटालियन सकरी द्वारा महेंन्द्र सिंह को सेवाकाल के दौरान विभागीय भविष्य निधि खाते में अधिक भुगतान का हवाला देकर दो लाख छह हजार 590 रुपये का वसूली आदेश जारी कर दिया गया।
मामले की सुनवाई जस्टिस अरविंद चंदेल की सिंगल बेंच में हुई। याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता पांडेय ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए कहा क सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्व में वर्ष 2015 में स्टेट आफ पंजाब विरुद्ध रफीक मसीह एवं अन्य एवं वर्ष 2022 में थामस डेनियल विरुद्ध स्टेट आफ केरला एवं अन्य के वाद में यह महत्वपूर्ण निर्णय दिया गया है कि किसी भी तृतीय श्रेणी शासकीय कर्मचारी इसके साथ ही सेवानिवृत्त शासकीय कर्मचारी के सेवानिवृत्ति देयक से किसी भी प्रकार की वसूली नहीं की जा सकती है।
याचिकाकर्ता सहायक प्लाटून कमांडर के पद पर पदस्थ थे जो कि तृतीय श्रेणी का पद है। अतः याचिकाकर्ता के सेवानिवृत्ति देयक से किसी प्रकार की वसूली नहीं की जा सकती है। याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट के समक्ष विभागीय भविष्य निधि लेखापर्ची का रिकार्ड प्रस्तुत किया और यह बताया कि याचिकाकर्ता के विभागीय भविष्य निधि खाते में नौ लाख 25 हजार 894 रुपये जमा है उसके बाद भी गलत गणना करके याचिकाकर्ता के विरुद्ध वसूली आदेश जारी कर दिया गया। याचिकाकर्ता के वकील की पैरवी और दी गई जानकारी के बाद कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए जारी वसूली आदेश पर रोक लगा दी है।