अनवर ढेबर की बढ़ी मुश्किलें, 10 दिनों तक जेल में बंद, UP STF ने मेरठ कोर्ट में किया पेश…
छत्तीसगढ़ के कथित शराब घोटाले मामले केस से जुड़े नकली होलोग्राम मामले में महापौर एजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं यूपी STF ने शुक्रवार को अनवर ढेबर को मेरठ कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने अनवर को 10 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है। अब मामले की दोबारा सुनवाई 1 जुलाई को होगी।
यूपी STF की ओर से बताया गया कि अनवर ढेबर से पूछताछ के लिए उन्हें अलग से कस्टोडियन रिमांड पर लेने के लिए आवेदन पेश किया जाएगा। बता दें कि STF बुधवार को रायपुर से अनवर को लेकर मेरठ रवाना हुई थी। गुरुवार को टीम लखनऊ पहुंची और अनवर को रात भर STF कार्यालय में रखा गया।
अनवर ढेबर पर लगे ये आरोप...
यूपी STF ने अपने प्रेस नोट में बताया है कि अनवर ढेबर रायपुर का एक कारोबारी है, जो राजनीतिक रूप से बहुत सक्रिय था। उसने तत्कालीन IAS अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी, IAS निरंजनदास और अन्य लोगों के सहयोग से विधु गुप्ता की कंपनी को फर्जी तरीके से होलोग्राम देने की शर्त पर टेंडर दिलवाया। साथ ही डिस्टलरी के जरिए अवैध शराब को सरकारी दुकानों से ही बिकवाकर कैश कलेक्शन कराया।
ढेबर अवैध शराब से आई रकम में से 300 रुपए प्रति पेटी के हिसाब से खुद का कमीशन लेता था। ढेबर की ओर से ही इस घोटाले से जमा होने वाले पैसे का एक बड़ा अमाउंट राजनीतिक संरक्षकों तक पहुंचाया जाता था।
FIR में दर्ज हैं इनके भी नाम...
बता दें कि जुलाई 2023 में छत्तीसगढ़ के कथित शराब घोटाले से जुड़े नकली होलोग्राम मामले में ED ने नोएड़ा के कासना थाने में तत्कालीन आबकारी आयुक्त निरंजन दास, कारोबारी अनवर ढेबर, छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कार्पोरेशन के MD एपी त्रिपाठी और तत्कालीन सचिव इंडस्ट्रीज IAS अनिल टुटेजा के खिलाफ केस दर्ज कराया था।
इनके अलावा PHSF (प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड) के डायरेक्टर विधु गुप्ता के खिलाफ धारा 420, 467, 468, 471, 484, 120बी IPC और 7/13.7 (क) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराध दर्ज किया गया था।
दर्ज FIR के मुताबिक नोएडा स्थित प्रिज्म होलोग्राफी सिक्योरिटी फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी को एक टेंडर मिला था। यह टेंडर छत्तीसगढ़ के एक्साइज डिपार्टमेंट ने होलोग्राम की आपूर्ति करने के लिए अवैध रूप से दिया था। कंपनी टेंडर प्रक्रिया में भाग लेने के लिए पात्र नहीं थी, लेकिन कंपनी के मालिकों की मिलीभगत से उसे पात्र बनाया गया।
यह काम आबकारी विभाग के विशेष सचिव अरुणपति त्रिपाठी, तत्कालीन आबकारी कमिश्नर निरंजन दास, तत्कालीन IAS अनिल टुटेजा ने निविदा शर्तों को संशोधित करके किया। इसके बाद PHSF नोएडा को अवैध रूप से टेंडर दिया गया। बदले में कंपनी के मालिक विधु गुप्ता से प्रति होलोग्राम 8 पैसे का कमीशन लिया गया। छत्तीसगढ़ में सरकारी दुकानों से अवैध देशी शराब की बोतलें बेचने के लिए बेहिसाब डूप्लीकेट होलोग्राम लिए गए।