रायपुर। सरकारी खजाने को भरने के लिए सबसे ज्यादा अपनी भागीदारी निभाने वाले शराब को लेकर हर बार सत्ता पक्ष सवालों के प्रहारों में घिरा रहता है| चाहे सरकार भाजपा की हो या वर्तमान में कांग्रेस की, शराब का मुद्दा हमेशा से उठता रहा है| लेकिन इस बार शराब घोटाले में इडी की दखल ने सत्ता से सदन तक को गरमा दिया है| गौरतलब है कि, साल 2021 में नेशन अपडेट ने जिस पार्ट 2 शराब घोटाले का खुलासा किया था जिसकी वजह से आबकारी विभाग सहित सीएम हाउस तक हड़कंप मच गया था और नेशन अपडेट की टीम को रोकने के लिए आबकारी विभाग में मीटिंग का दौर भी शुरू हो गया था। तीन साल बीतने के बाद आख़िरकार साल 2023 में ED नें नेशन अपडेट के इस खबर पर अपनी सत्यता की मुहर लगा ही दी| सच की एक खासियत हमेशा से रही है चाहे झूठ के कितने भी पुलिंदे खड़े कर सच को परेशान करने और उसे बदनाम करने की कोशिश की जाए लेकिन सच देर सबेर सबके सामने आ ही जाता है| खैर छत्तीसगढ़ में उठे शराब घोटाले की इस आग ने पूरी तरह सत्ता पक्ष के खाश लोगों को अपनी आगोश में ले लिया है यही कारण है कि आगामी चुनाव के ठीक पहले प्रदेश में जहाँ एक ओर विपक्ष सरकार के घोटालों को उजागर कर महाधरना का प्रदर्शन कर रही है तो वहीँ दूसरी ओर सत्ता पक्ष अपने बचाव में बयान दे कर खुद की स्पष्ट छवि होने का दावा कर रही है|
लेकिन इन सब के बीच इडी की जांच प्रक्रिया जारी है| इडी की टीम ने शराब कारोबारी महापौर ऐजाज ढेबर के भाई अनवर ढेबर सहित पप्पू ढिल्लोन को गिरफ्तार कर लिया है।
वहीँ सूत्रों की माने तो अनवर ढेबर व पप्पू ढिल्लोन छत्तीसगढ़ में शराब के बड़े कारोबारी माने जाते हैं। वहीं ED ने इस बात का भी दावा किया है कि छत्तीसगढ़ में 2 हज़ार करोड़ के शराब का घोटाला किया गया है।
गौरतलब है कि बीते शनिवार तड़के अनवर ढेबर को रायपुर के एक होटल से तब गिरफ्तार किया था, जब वह “पिछले दरवाजे से भागने” की फ़िराक में थे।
ईडी ने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ में बेची गई शराब की “हर बोतल” पर “अवैध रूप” से धन एकत्रित किया गया और रायपुर महापौर एजाज ढेबर के बड़े भाई अनवर ढेबर की अगुवाई वाले शराब सिंडिकेट द्वारा दो हजार करोड़ रुपये के “अभूतपूर्व” भ्रष्टाचार और धनशोधन के सबूत एकत्रित किये गए हैं। एजेंसी ने एक बयान में कहा कि अनवर ढेबर को संघीय एजेंसी ने धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) की आपराधिक धाराओं के तहत गिरफ्तार किया है|
विशेष पीएमएलए अदालत ने बाद में उन्हें चार दिन के लिए ईडी की हिरासत में भेज दिया जबकि उनके वकील ने आरोप लगाया कि उनके मुवक्किल के खिलाफ कार्रवाई “राजनीति से प्रेरित” प्रतीत होती है और वे इसके खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख करेंगे। एजेंसी ने कहा कि अनवर ढेबर सात बार तलब किए जाने के बावजूद मामले की जांच में शामिल नहीं हुए और आरोप लगाया कि वह “लगातार बेनामी सिम कार्ड और इंटरनेट डोंगल का उपयोग कर रहे थे, और अपना ठिकाना बदल रहे थे।” एजाज ढेबर छत्तीसगढ़ में सत्तारूढ़ कांग्रेस के एक प्रभावशाली नेता माने जाने जाते हैं।
ईडी ने आरोप लगाया है, “जांच में पाया गया कि अनवर ढेबर के नेतृत्व में एक संगठित आपराधिक सिंडिकेट छत्तीसगढ़ में काम कर रहा था। अनवर ढेबर एक आम नागरिक हैं लेकिन वह उच्च-स्तरीय राजनीतिक प्राधिकारियों और वरिष्ठ नौकरशाहों की ओर से पैसे लेते थे।” ईडी ने आरोप लगाया, “उन्होंने एक व्यापक साजिश रची और घोटाले को अंजाम देने के लिए व्यक्तियों/इकाइयों का एक व्यापक नेटवर्क तैयार किया ताकि छत्तीसगढ़ में बेची जाने वाली शराब की प्रत्येक बोतल से अवैध रूप से धन एकत्रित किया जा सके।”
ईडी ने कहा कि मार्च में रायपुर में अनवर ढेबर के आवासीय परिसरों सहित छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और दिल्ली में 35 स्थानों पर छापे मारे गए थे और इस दौरान “2019-2022 के बीच दो हजार करोड़ रुपये के अभूतपूर्व भ्रष्टाचार और धनशोधन के सबूत” मिले। ईडी ने आरोप लगाया कि अनवर ढेबर “इस पूरे अवैध धन संग्रह के लिए जिम्मेदार थे, लेकिन वह इस घोटाले के अंतिम लाभार्थी नहीं हैं।” उसने दावा किया, “यह बात सामने आयी कि एकत्रित राशि का कुछ हिस्सा अपने पास रखकर शेष राशि अपने राजनीतिक आकाओं को दे दिया करते थे।”
एजेंसी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में राज्य शराब व्यापार के “सभी पहलुओं” पर सरकार का नियंत्रण है यानी शराब खरीद से लेकर खुदरा बिक्री तक सरकार के हाथ में है और किसी भी निजी दुकान की अनुमति नहीं है। वहीं अनवर ढेबर की हिरासत के लिए शनिवार को रायपुर की विशेष पीएमएलए अदालत में दायर किए गए अपनी अर्जी में ईडी ने दावा किया कि एक सिंडिकेट द्वारा छत्तीसगढ़ में शराब घोटाला किया गया, जिसमें राज्य के उच्च स्तरीय सरकारी अधिकारी, निजी व्यक्ति और राजनीतिक हस्तियां भी शामिल हैं।
ईडी ने आरोप लगाया है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी अनिल टुटेजा शराब कारोबारी अनवर ढेबर के साथ छत्तीसगढ़ में अवैध शराब सिंडिकेट के“सरगना” हैं और भ्रष्टाचार से अर्जित रकम का इस्तेमाल चुनाव प्रचार में भी किया गया। एजेंसी ने यह भी दावा किया कि उसकी जांच में यह भी सामने आया है कि 2019 से 2022 के बीच राज्य में बिकी कुल शराब में से 30 से 40 फीसदी शराब ‘अवैध’ थी और इस कृत्य से 1200-1500 करोड़ रुपये का अवैध लाभ उत्पन्न हुआ।
ईडी ने आरोप लगाया है कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारी अनिल टुटेजा शराब कारोबारी अनवर ढेबर के साथ छत्तीसगढ़ में अवैध शराब सिंडिकेट के“सरगना” हैं और भ्रष्टाचार से अर्जित रकम का इस्तेमाल चुनाव प्रचार में भी किया गया। एजेंसी ने यह भी दावा किया कि उसकी जांच में यह भी सामने आया है कि 2019 से 2022 के बीच राज्य में बिकी कुल शराब में से 30 से 40 फीसदी शराब ‘अवैध’ थी और इस कृत्य से 1200-1500 करोड़ रुपये का अवैध लाभ उत्पन्न हुआ।
प्रवर्तन निदेशालय ने आयकर विभाग की ओर से टुटेजा और अन्य के खिलाफ दिल्ली की एक अदालत में दायर आरोपपत्र के आधार पर धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएएल) के तहत मामले की जांच के लिए पिछले साल एक मामला दर्ज किया था। ईडी ने दावा किया कि छत्तीसगढ़ में एक आपराधिक सिंडिकेट का संचालन किया जा रहा है, जो राज्य के आबकारी विभाग समेत अहम महकमों और सरकारी कंपनियों के उच्च स्तरीय प्रबंधन को नियंत्रित करके रिश्वत ले रहा था।
ईडी ने आरोप लगाया कि अनवर इस सिंडिकेट के मुख्य संग्रह एजेंट हैं। उसने कहा कि अनवर की ओर से टुटेजा को 14.41 करोड़ रुपये स्थानांतरित किए जाने के डिजिटल साक्ष्य उपलब्ध हैं। एजेंसी के आवेदन में कहा गया है कि सिंडिकेट ने छत्तीसगढ़ में शराब की बिक्री से तीन अलग-अलग तरीके से अवैध धन एकत्र किया।