7 से 77 वर्ष तक योग की साधना, डॉ. वर्णिका ने किया योगसाधकों का सम्मान, कहा -योग सभी विकारों की दवा, काहे घबराए

रायपुर।। परम जीवनम् फाउंडेशन द्वारा आयोजित योगासन कला प्रदर्शन एवं सम्मान समारोह में राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्षा डॉ. वर्णिका शर्मा मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुईं। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. मनीषा सिंह(प्रोफेसर, AIIMS), महेश तिवारी (प्राचार्य, आत्मानंद स्कूल) एवं योगाचार्य चूड़ामणि नायक उपस्थित रहे।
मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए डॉ. वर्णिका शर्मा ने कहा कि—
“मन-मस्तिष्क के विकार और शारीरिक कमजोरी को दूर करने का सबसे सशक्त माध्यम योग है। योग हमें वृद्ध नहीं होने देता, बल्कि अयोग्य को भी योग्य बनाने की क्षमता रखता है। हमें अपने भीतर बालमन बनाए रखना चाहिए क्योंकि बालमन स्वच्छ, पवित्र और ऊर्जावान होता है—यही योग का वास्तविक स्वरूप है।”
उन्होंने कहा कि अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा मनुष्य को नीचे की ओर ले जाती है, जबकि “सभी विकारों और लाख दुखों की एक दवा—योग, काहे घबराए” फिल्मी अंदाज़ में यह संदेश देते हुए उन्होंने योग को जीवनशैली में शामिल करने का आह्वान किया।
डॉ. शर्मा ने कहा कि
उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि परम जीवनम् योग केंद्र में 7 वर्ष से लेकर 77 वर्ष तक के लोग नियमित रूप से योग का अभ्यास कर रहे हैं और अपने शरीर व मन को लचीला एवं स्वस्थ बना रहे हैं। उन्होंने योग केंद्र को हमेशा जीवंत व सक्रिय बनाए रखने की भी अपील की।
उन्होंने स्कूली बच्चों में योग के प्रचार-प्रसार पर जोर देते हुए कहा कि—
“बच्चे स्वभाव से ही बालमन, निर्मलता और ऊर्जा से भरपूर होते हैं। यही कारण है कि बच्चे योग के सबसे सुंदर प्रतिरूप होते हैं। योग से उनका शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक विकास अधिक सक्षम बनता है।”
कार्यक्रम के अंत में योग के क्षेत्र में विशेष उपलब्धि हासिल करने वाले योगसाधकों को प्रमाणपत्र प्रदान कर सम्मानित किया गया। सम्मानित प्रतिभागियों में मीणा बघेल, अजय साहू, अशोक सेठ, अनीता, ज्योति साहू और राधा शामिल रहे।



