मत्स्य किसानों को आर्थिक समृद्धि हेतु नवीन तकनीक एवं कौशल विकास को अपनाने की जरूरत: मंत्री रामविचार नेताम

कृषि विकास एवं किसान कल्याण तथा मछलीपालन मंत्री रामविचान नेताम आज विश्व मात्स्यिकी दिवस पर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय परिसर स्थित कृषि मंडपम सभागार में आयोजित एक दिवसीय मत्स्य कृषक संगोष्ठी में शामिल हुए। उन्होंने संगोष्ठी को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्रति वर्ष 21 नवंबर को विश्व मात्स्किी दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य मत्स्य पालन के महत्व, मछुआ समुदाय के अधिकारों, आर्थिक आजिविका, खाद्य सुरक्षा, सांस्कृतिक विरासत एवं समुदाय सशक्तिकरण हेतु जागरूकता लाना है। नेताम ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य अपनी स्थापना के 25 वर्ष पूर्ण कर रजत जयंती मना रहा है। राज्य में प्राकृतिक रूप से मछली पालन के स्त्रोत प्रचूर मात्रा में उपलब्ध है। मत्स्य किसानों के विकास के लिए आवश्यकता है केवल नवीन तकनीक, मानव कौशल विकास, आर्थिक प्रोत्साहन एवं सहायता की।
मत्स्य बीज उत्पादन में राज्य देश में 6 वें स्थान पर
कृषि मंत्री नेताम ने बताया कि शासन ने राज्य निर्माण के पश्चात राज्य एवं केन्द्र की विभिन्न योजनाओं जैसे कि राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, नील काति, प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना आदि के माध्यम से मछली पालन विकास के सतत् प्रयास किया जा रहा है। वर्तमान में राज्य में कुल 1,30,001 जल स्त्रोत (2.039 लाख हेक्टेयर) उपलब्ध है जिनमें 98 प्रतिशत् में किसी न किसी रूप में मत्स्य पालन हो रहा है। 3571 किलोमीटर का नदीय जलक्षेत्र भी उपलब्ध है। सघन मत्स्य पालन हेतु अतिरिक्त जलक्षेत्र निर्मित किया जा रहा है, अब तक कुल 7580 हेक्टर जलक्षेत्र निजी क्षेत्र में अतिरिक्त निर्मित हो चुका है।



