रोज़मर्रा की आदतों से ही संभव है निमोनिया की रोकथाम – डॉ. दिपेश मस्के

रायपुर। हर साल दुनियाभर में लाखों लोग निमोनिया का शिकार बनते हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि अगर लोग अपनी रोज़मर्रा की आदतों में थोड़े बदलाव करें, तो इस जानलेवा संक्रमण से आसानी से बचा जा सकता है। प्रसिद्ध फेफड़ा रोग विशेषज्ञ डॉ. दिपेश मस्के के अनुसार,
“निमोनिया की रोकथाम किसी कठिन चिकित्सा पद्धति पर नहीं, बल्कि छोटी-छोटी सावधानियों और अनुशासन पर निर्भर करती है।”
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट बताती है कि हर साल दुनिया में 25 लाख से अधिक लोगों की मौत निमोनिया से होती है। इनमें 5 साल से कम उम्र के 6 लाख से ज़्यादा बच्चे शामिल हैं। डॉ. मस्के का कहना है कि भारत में सर्द मौसम, वायु प्रदूषण और कम टीकाकरण कवरेज के चलते हर साल यह संक्रमण तेजी से फैलता है।
क्या है निमोनिया और क्यों है यह ख़तरनाक?
निमोनिया फेफड़ों का संक्रमण है जिसमें फेफड़ों की वायुकोषिकाएँ द्रव या मवाद से भर जाती हैं, जिससे सांस लेने में तकलीफ, बुखार, खांसी और सीने में दर्द जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। यह संक्रमण बैक्टीरिया, वायरस या फंगल इन्फेक्शन से हो सकता है।
बच्चों, बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और कमज़ोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को इसका खतरा अधिक होता है।
डॉ. मस्के के सुझाए गए निवारक उपाय...
1. स्वच्छता और श्वसन हाइजीन सबसे ज़रूरी।
छींकते या खांसते समय रूमाल या कोहनी से मुँह ढकें।नियमित हाथ धोने की आदत डालें। घर में खुला वेंटिलेशन रखें और बीमार व्यक्तियों से दूरी बनाएं।
2. समय पर टीकाकरण कराएं
डॉ. मस्के के अनुसार, “टीकाकरण निमोनिया से बचाव का सबसे आसान और असरदार तरीका है।”
न्यूमोकोकल वैक्सीन बैक्टीरिया जनित निमोनिया से सुरक्षा देती है।
इन्फ्लूएंजा वैक्सीन वायरल संक्रमणों से बचाव में मदद करती है। यह खासतौर पर बच्चों, बुजुर्गों और हृदय या श्वसन संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोगों के लिए आवश्यक है।
3. संतुलित आहार और स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं
ताजे फल, सब्ज़ियां और प्रोटीन से भरपूर भोजन करें।पर्याप्त नींद और पानी लें। धूम्रपान और अत्यधिक शराब सेवन से बचें, क्योंकि ये फेफड़ों की प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करते हैं।
4. लक्षण दिखने पर तुरंत चिकित्सक से संपर्क करें
लगातार खांसी, बुखार, सीने में दर्द या सांस लेने में कठिनाई जैसे लक्षणों को नज़रअंदाज़ न करें। समय पर इलाज से गंभीर स्थिति को रोका जा सकता है।
रोकथाम की कुंजी – अनुशासन और जागरूकता
डॉ. दिपेश मस्के कहते हैं, “निमोनिया की रोकथाम किसी असाधारण उपाय से नहीं, बल्कि रोज़मर्रा की आदतों से होती है। स्वच्छता, पोषण और टीकाकरण जैसे छोटे कदम मिलकर बड़ी सुरक्षा प्रदान करते हैं।”
विश्व निमोनिया दिवस के अवसर पर विशेषज्ञों ने यह संदेश दिया है कि यदि हर व्यक्ति व्यक्तिगत और सामुदायिक स्तर पर सतर्क रहे, तो यह बीमारी न केवल रोकी जा सकती है बल्कि इसके मामलों में बड़ी कमी लाई जा सकती है।



