Mahila Empowerment in Chhattisgarh 2025: नई उड़ान, नया क्षितिज – महतारियों की सशक्तिकरण यात्रा

रायपुर। Mahila Empowerment in Chhattisgarh 2025 की कहानी अब विकास की नई परिभाषा गढ़ रही है। छत्तीसगढ़ आज उस मुकाम पर है जहां महिलाएँ न केवल भागीदारी निभा रही हैं, बल्कि बदलाव की दिशा तय कर रही हैं। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में महिला सशक्तिकरण अब केवल नीति नहीं, बल्कि सामाजिक और आर्थिक रूपांतरण की आधारशिला बन चुका है।

महतारी वंदन योजना – आर्थिक आत्मनिर्भरता की नई शुरुआत
राज्य की लगभग 70 लाख महिलाओं को Mahatari Vandan Yojana के तहत अब तक 12,983 करोड़ रुपए की राशि वितरित की गई है। यह पहल केवल आर्थिक सहयोग नहीं, बल्कि आत्मसम्मान और निर्णय लेने की क्षमता का प्रतीक बनी है। इस सहायता से महिलाएँ अब परिवार की दिशा तय करने के साथ समाज में नेतृत्व की भूमिका भी निभा रही हैं।

दीदी ई-रिक्शा और सक्षम योजना – रोज़गार से आत्मविश्वास तक
“दीदी ई-रिक्शा योजना” के तहत 12,000 महिलाएँ आज सड़कों पर अपनी पहचान बना रही हैं, जबकि “सक्षम योजना” से 32,000 महिलाओं को 3 प्रतिशत ब्याज दर पर 2 लाख तक का व्यवसायिक ऋण मिला है। Mahila Self Help Groups के सहयोग से “महतारी शक्ति ऋण योजना” ने 50,000 से अधिक महिलाओं को बिना जमानत ऋण देकर आत्मनिर्भरता का नया अध्याय लिखा है।
गाँवों से निकली प्रेरक कहानियाँ
कोंडागांव की रतो बाई, जो कभी नक्सली भय के साये में जी रही थीं, अब प्रधानमंत्री आवास योजना और मनरेगा से मिली सहायता के कारण आत्मनिर्भर जीवन जी रही हैं। दंतेवाड़ा की गंगादेवी समूह की महिलाएँ अब टाटा मैजिक वाहन चलाकर 26,000 रुपए मासिक आय अर्जित कर रही हैं। सरगुजा की श्यामा सिंह ने बिहान योजना से शुरुआत कर आज 50,000 रुपए प्रतिमाह का व्यवसाय खड़ा कर लिया है।
बस्तर: भय से विश्वास तक की यात्रा
एक समय नक्सल प्रभाव वाला बस्तर अब आत्मनिर्भरता और अवसरों की नई पहचान बन रहा है। केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत स्वीकृत 15,000 घरों में से 12,000 से अधिक पूर्ण हो चुके हैं। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कहा, “बस्तर का पुनर्निर्माण केवल ढांचागत नहीं, बल्कि हर घर में विश्वास की लौ जलाने का संकल्प है।”
‘लखपति महिला मिशन’ और ‘जश्प्योर’ ब्रांड – पहचान से सम्मान तक
बस्तर और सरगुजा की महिलाएँ अब Lakhpati Mahila Mission के तहत सालाना एक लाख से अधिक की आय अर्जित कर रही हैं। ‘जश्प्योर’ और बेंत आधारित उत्पादों ने राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है। ड्रोन दीदी योजना और यूनिटी मॉल जैसे प्रयासों ने महिलाओं को तकनीक और बाज़ार दोनों से जोड़कर आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार किया है।
सुरक्षा, शिक्षा और सम्मान की नई परिभाषा
सखी वन-स्टॉप सेंटर, महिला हेल्पलाइन-181 और ‘शुचिता योजना’ ने महिलाओं की सुरक्षा और स्वास्थ्य को प्राथमिकता दी है। 2,000 स्कूलों में नैपकिन वेंडिंग मशीन की स्थापना से किशोरियों को आत्मसम्मान और सुविधा दोनों मिले हैं।
नया छत्तीसगढ़ – विश्वास और परिवर्तन की कहानी
महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े ने कहा, “नया छत्तीसगढ़ वह होगा जहाँ भय नहीं, विश्वास होगा; जहाँ महिलाएँ आश्रित नहीं, सशक्त होंगी।” वास्तव में, आज छत्तीसगढ़ का हर गाँव और हर घर इस बदलाव की कहानी कह रहा है — जहाँ पहले भय था, वहाँ अब आत्मनिर्भरता है; जहाँ मजबूरी थी, वहाँ अब सम्मान है।



