Dev Uthani Ekadashi 2025 : भक्ति और परंपरा का संगम – तुलसी विवाह से गूंजा मुख्यमंत्री निवास

रायपुर, 2 नवम्बर 2025। (Dev Uthani Ekadashi 2025) के पावन अवसर पर रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास भक्ति, आस्था और लोक परंपरा की सुगंध से महक उठा। पारंपरिक विधि-विधान से आयोजित तुलसी विवाह समारोह में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और उनकी धर्मपत्नी कौशल्या साय ने भगवान शालिग्राम और माता तुलसी का विवाह संपन्न कराया। पूरे परिसर में वैदिक मंत्रोच्चार, दीप सज्जा और भक्तिमय वातावरण ने आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार किया।
देवउठनी एकादशी: अध्यात्म और प्रकृति के संतुलन का प्रतीक
मुख्यमंत्री ने इस मौके पर कहा कि (Tulsi Vivah) केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि यह धर्म, अध्यात्म और प्रकृति के बीच संतुलन का प्रतीक है। भगवान विष्णु के योगनिद्रा से जागरण के साथ शुभ कार्यों की पुनः शुरुआत होती है। उन्होंने कहा कि यह पर्व जीवन में सात्त्विकता, सकारात्मकता और समर्पण की भावना को जगाने वाला है। छत्तीसगढ़ की लोक परंपराओं में तुलसी विवाह का विशेष स्थान रहा है, जो परिवार और समाज में सौहार्द और एकता का संदेश देता है।
लोक संस्कृति में तुलसी विवाह का महत्व
छत्तीसगढ़ की ग्रामीण और नगर दोनों संस्कृतियों में (Chhattisgarh Tulsi Vivah Tradition) का गहरा प्रभाव देखा जाता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह परंपरा हमें परिवार, समाज और प्रकृति के बीच सामंजस्य बनाए रखने की प्रेरणा देती है। लोक आस्था के अनुसार तुलसी विवाह को पवित्रता, निष्ठा और समर्पण का प्रतीक माना गया है। उन्होंने बताया कि यह पर्व हमें जीवन में नैतिकता और संतुलन की राह पर चलने की याद दिलाता है।
शुभकामनाएँ और मंगल संदेश
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्रदेशवासियों के सुख, शांति और समृद्धि की कामना की। उन्होंने कहा कि भगवान विष्णु और माता तुलसी की कृपा से सभी के जीवन में आरोग्य, सौहार्द और सुख-शांति का वास हो। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यह पर्व जीवन में नव आरंभ और सकारात्मकता का संदेश लेकर आता है, जो हमें निरंतर आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है।
परंपरा के साथ आधुनिक संदेश
(Dev Uthani Ekadashi 2025) का यह आयोजन सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण रहा। यह पर्व हमें अपनी जड़ों से जोड़े रखते हुए आधुनिक जीवनशैली में भी संतुलन लाने का संदेश देता है। रायपुर में आयोजित इस समारोह ने यह सिद्ध कर दिया कि जब भक्ति और संस्कृति का संगम होता है, तो आस्था की नई रोशनी पूरे समाज को प्रकाशित करती है।



