रानीदाह जलप्रपात : जशपुर की हरियाली में बसा रोमांच और रहस्य का संगम…

जशपुर। घने जंगलों, ऊँची-नीची पहाड़ियों और बहती ठंडी हवाओं के बीच बसा रानीदाह जलप्रपात हर मौसम में प्रकृति प्रेमियों का मन मोह लेता है। विशेषकर मानसून के दौरान, जब जलधारा प्रचंड वेग से चट्टानों से टकराकर नीचे गिरती है, तब इसका सौंदर्य अपने चरम पर होता है। इस समय झरने की गूंज, हरियाली से घिरी घाटियाँ और झरती बूंदों की ठंडक हर पर्यटक को मंत्रमुग्ध कर देती है।
यह जलप्रपात जशपुर जिला मुख्यालय से लगभग 18 किलोमीटर की दूरी पर, आरा मार्ग के समीप घने वनों के बीच स्थित है। विशाल चट्टानों से गिरती धाराएँ नीचे एक गहरे कुंड का निर्माण करती हैं, जो देखने में बेहद आकर्षक लगता है। फोटोग्राफी, एडवेंचर और पिकनिक प्रेमियों के लिए यह जगह किसी स्वर्ग से कम नहीं।
इतिहास और किंवदंती से जुड़ा रहस्यमयी स्थल...
रानीदाह जलप्रपात केवल प्राकृतिक सौंदर्य ही नहीं, बल्कि एक दिलचस्प ऐतिहासिक कथा से भी जुड़ा है। कहा जाता है कि उड़ीसा की रानी शिरोमणि अपने प्रेमी के साथ भागकर यहाँ आई थीं और अपने भाइयों से बचते हुए इसी झरने के समीप आत्मसमर्पण किया था। इसी घटना की स्मृति में इस स्थान का नाम “रानीदाह” पड़ा। आज भी यहाँ रानी की समाधि और ‘पंचमैया’ नामक स्थल मौजूद है, जो उनके पाँच भाइयों की याद दिलाता है। पास में स्थित शिव मंदिर इस जगह के धार्मिक महत्व को और बढ़ा देता है।

प्रकृति, शांति और रोमांच का संगम...
रानीदाह का वातावरण सालभर ताजगी और शांति से भरा रहता है। यहाँ का हर कोना हरियाली से लिपटा हुआ है, और झरने की आवाज़ पूरे क्षेत्र में एक सुकून भरा संगीत रचती है। जिला प्रशासन ने यहाँ व्यू प्वाइंट, सीढ़ियाँ और पिकनिक स्पॉट जैसी सुविधाएँ भी विकसित की हैं, जिससे पर्यटक सुरक्षित और आरामदायक तरीके से झरने का आनंद ले सकें।
यह स्थान जून से फरवरी तक विशेष रूप से पर्यटन के लिए खुला रहता है। यहाँ तक पहुँचना आसान है — जशपुर से सड़क मार्ग द्वारा, वहीं निकटतम रेलवे स्टेशन रांची और अंबिकापुर, तथा हवाई मार्ग से रांची व रायपुर एयरपोर्ट से पहुँचा जा सकता है।
प्रकृति की गोद में एक अद्भुत अनुभव...
रानीदाह जलप्रपात सिर्फ एक पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि प्रकृति, इतिहास और रोमांच का जीवंत संगम है। यहाँ आकर हर व्यक्ति को प्रकृति के उस शांत, पवित्र और रमणीय रूप का अनुभव होता है, जो मन और आत्मा को सुकून देता है।



