जशपुर जिले में एग्रीस्टैक परियोजना के तहत डिजिटल क्रॉप सर्वे पूरा, फसल डेटा हुआ ऑनलाइन

जशपुर। कलेक्टर रोहित व्यास के मार्गदर्शन में जशपुर जिले में एग्रीस्टैक परियोजना अंतर्गत डिजिटल क्रॉप सर्वे (DCS) का कार्य सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। जिले की सभी तहसीलों के 744 गांवों में 4 लाख 3 हजार से अधिक खसरों में फसल सर्वेक्षण पूरा हुआ है। इसमें अधिकांश खेतों का सर्वे डीसीएस मोबाइल एप के माध्यम से किया गया, जबकि शेष खेतों की मैन्युअल गिरदावरी की गई।

इस पहल का मुख्य उद्देश्य भूमि पर बोई गई फसलों और उनके क्षेत्रफल का सटीक डिजिटल रिकॉर्ड तैयार करना, पारदर्शिता बढ़ाना और कृषि उत्पादकता का वैज्ञानिक आकलन सुनिश्चित करना है।
डिजिटल सर्वे से बढ़ी पारदर्शिता और सटीकता...
सर्वेक्षणकर्ताओं ने किसानों के खेतों तक पहुँचकर मोबाइल एप के जरिए यह दर्ज किया कि किस खेत में कौन सी फसल लगाई गई है और उसका कुल रकबा कितना है। यह डेटा अब राज्य शासन द्वारा धान खरीदी, फसल बीमा और अन्य कृषि योजनाओं के लिए उपयोग किया जाएगा।
कलेक्टर रोहित व्यास ने बताया कि
“डिजिटल क्रॉप सर्वे से अब फसलों की गिरदावरी प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और भरोसेमंद हुई है। किसानों को सरकारी योजनाओं का लाभ तेजी से मिलेगा।”
किसान घर बैठे देख सकेंगे अपनी फसल की जानकारी...
अब किसान अपने खेतों और फसल का विवरण राजस्व विभाग की वेबसाइट और ‘भुइयां पोर्टल’ के माध्यम से ऑनलाइन देख सकते हैं। यदि किसी किसान को डीसीएस या मैन्युअल गिरदावरी डेटा में त्रुटि दिखाई देती है, तो वे संबंधित हसीलदार को लिखित आवेदन देकर दावा-आपत्ति प्रस्तुत कर सकते हैं। सभी शिकायतों का त्वरित निराकरण किया जाएगा।
फसल सर्वे में अत्याधुनिक डिजिटल तकनीक का प्रयोग...
इस परियोजना में मोबाइल इंटरफेस के माध्यम से खेत से ही रियल-टाइम डेटा एकत्र करने की व्यवस्था की गई है।
यह तकनीक हर कृषि भूखंड का सटीक रिकॉर्ड तैयार करती है, जिससे भविष्य में उत्पादन अनुमान, बीमा प्रक्रिया और योजनाओं की योजना निर्माण अधिक वैज्ञानिक हो सकेगी।

डेटा की गोपनीयता और किसानों की सहमति सर्वोपरि...
कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा तैयार किया गया एग्रीस्टैक सिस्टम डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023 के अनुरूप है। इसमें किसानों के डेटा की पूर्ण गोपनीयता और सुरक्षा सुनिश्चित की गई है। डेटा केवल किसानों की सहमति के बाद ही अधिकृत संस्थाओं के साथ साझा किया जाता है, जिससे उनकी निजी जानकारी सुरक्षित बनी रहती है।
हर किसान तक पहुंच रही डिजिटल सुविधा...
जिन किसानों के पास स्मार्टफोन नहीं हैं, उन्हें एफपीओ (किसान उत्पादक संगठन), कृषि सखियों और कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) के माध्यम से डिजिटल सेवाओं से जोड़ा गया है। इसके अलावा, विशेष पंजीयन शिविरों का भी आयोजन किया गया ताकि कोई भी किसान एग्रीस्टैक परियोजना के लाभ से वंचित न रहे।
फसल सर्वे से बढ़ा भरोसा, योजनाओं का लाभ हुआ आसान...
डिजिटल क्रॉप सर्वे के जरिए अब किसानों को धान खरीदी, फसल बीमा और अन्य योजनाओं के लिए पात्रता की पुष्टि में सुविधा मिल रही है। यह प्रणाली कृषि क्षेत्र में डिजिटलीकरण और पारदर्शिता की दिशा में बड़ा कदम मानी जा रही है।