छत्तीसगढ़: हर थाली में अन्न, हर घर में पोषण — खाद्य सुरक्षा का डिजिटल क्रांति मॉडल

छत्तीसगढ़ सरकार अपने नागरिकों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने और “कोई भूखा न सोए” के संकल्प को साकार करने की दिशा में निरंतर प्रयासरत है। राज्य का खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग न केवल जनजीवन की बुनियादी जरूरतों की पूर्ति कर रहा है, बल्कि गरीबी उन्मूलन, पोषण सुरक्षा और सामाजिक समानता की दिशा में भी ऐतिहासिक भूमिका निभा रहा है।
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2012 और छत्तीसगढ़ सार्वजनिक वितरण प्रणाली (नियंत्रण) आदेश 2016 के तहत जारी राशन कार्ड, राज्य के लाखों परिवारों तक नियमित खाद्यान्न आपूर्ति सुनिश्चित कर रहे हैं। यह व्यवस्था केवल शासन की प्रक्रिया नहीं, बल्कि सरकार की संवेदनशीलता का जीवंत प्रतीक है।
डिजिटल क्रांति से सशक्त खाद्य सुरक्षा व्यवस्था...
डिजिटल इंडिया मिशन के अनुरूप छत्तीसगढ़ ने खाद्य वितरण व्यवस्था को पूरी तरह ऑनलाइन और पारदर्शी बना दिया है। जिले और ब्लॉकों के स्तर पर राशन कार्ड वितरण, पात्रता सत्यापन और खाद्यान्न आवंटन अब ऑनलाइन पोर्टल से जुड़े हैं।
मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिला इस डिजिटल परिवर्तन का उत्कृष्ट उदाहरण है। यहां के भरतपुर, खड़गवां, मनेन्द्रगढ़, जनकपुर, खोंगापानी, झगराखाण्ड, नईलेदरी और चिरमिरी क्षेत्रों के सभी लाभार्थियों की जानकारी डिजिटल रूप में उपलब्ध है — जिससे कोई भी नागरिक अपने हक की जानकारी कुछ ही क्लिक में पा सकता है।

केवल भरतपुर ब्लॉक में 31,908 परिवारों को खाद्य सुरक्षा योजना का लाभ मिल रहा है, जबकि पूरे जिले में कुल 77,249 परिवार इस योजना से जुड़ चुके हैं। यह दर्शाता है कि जिले की प्राथमिकता सिर्फ आंकड़े नहीं, बल्कि हर थाली तक अन्न की पहुँच है।
नगरीय निकायों तक पोषण सुरक्षा का विस्तार...
खाद्य सुरक्षा योजना का दायरा अब शहरी क्षेत्रों तक भी मजबूती से फैल चुका है। जनकपुर, मनेन्द्रगढ़, खोंगापानी, झगराखाण्ड, नईलेदरी और चिरमिरी नगर निकायों में कुल 36,659 परिवार इस योजना से लाभान्वित हो रहे हैं। इनमें 5,458 अंत्योदय, 107 निराश्रित, 18,562 प्राथमिकता, 37 निःशक्तजन और 12,495 एपीएल परिवार शामिल हैं। यह उपलब्धि बताती है कि राज्य सरकार ने ग्रामीण से लेकर शहरी स्तर तक हर वर्ग को समान रूप से खाद्य सुरक्षा दी है।
पारदर्शिता और जवाबदेही का नया युग...
खाद्य वितरण प्रणाली को एनआईसी (राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र) की मदद से पूर्णतः डिजिटल किया गया है। अब प्रत्येक नागरिक अपने राशन कार्ड की स्थिति, नाम और वितरण विवरण ऑनलाइन पोर्टल पर देख सकता है। अनियमितता की शिकायत दर्ज करने की सुविधा ने इस सिस्टम को और भी भरोसेमंद बना दिया है। हर पात्र परिवार को हर महीने निर्धारित दर पर चावल, गेहूं, शक्कर और नमक जैसी वस्तुएं नियमित रूप से उपलब्ध कराई जा रही हैं।
पोषण से मानव विकास तक की यात्रा...
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि कोई भी नागरिक भुखमरी या कुपोषण का शिकार न हो। महिला एवं बाल विकास, स्वास्थ्य और खाद्य विभाग के संयुक्त प्रयासों से राज्य का पोषण स्तर लगातार बेहतर हुआ है। खासकर आदिवासी, अनुसूचित जाति और वंचित वर्गों को पोषण की मुख्यधारा से जोड़ा गया है, जिससे राज्य का मानव विकास सूचकांक (HDI) भी मजबूत हुआ है।
“सशक्त, सुरक्षित और पोषित छत्तीसगढ़” की ओर...
छत्तीसगढ़ की सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) आज देश के लिए एक आदर्श मॉडल बन चुकी है।
यहां खाद्यान्न वितरण का ढांचा मजबूत है, तकनीकी पारदर्शिता सुनिश्चित है और लाभार्थियों की संख्या निरंतर बढ़ रही है।
यह व्यवस्था सिर्फ शासन नहीं, बल्कि एक संवेदनशील दृष्टिकोण है| जिसका लक्ष्य है
“हर थाली में अन्न, हर घर में पोषण और हर नागरिक में आत्मनिर्भरता।”