गौसेवा में नया अध्याय: छत्तीसगढ़ के गौठान अब गोधाम, सालाना 25 लाख रुपए अनुदान, सख्त नियमों के साथ नई पहल

Chhattisgarh: रायपुर। छत्तीसगढ़ में पूर्व कांग्रेस सरकार द्वारा स्थापित गौठानों को अब गोधाम के रूप में विकसित किया जाएगा। राज्य सरकार ने गोसेवा आयोग के 20 साल पुराने नियमों में बदलाव करते हुए इसे नए स्वरूप में पेश किया है।
गोधाम संचालन के लिए सालाना 25 लाख रुपए तक का अनुदान मिलेगा, जबकि किसी भी प्रकार की गड़बड़ी करने पर सख्त दंड का भी प्रावधान रखा गया है। अलग-अलग कार्यों के लिए संचालन राशि का स्पष्ट प्रावधान होगा।
गोधाम कैसे तैयार होंगे...
- जिला प्रशासन के प्रस्ताव पर गौधाम बनाए जाएंगे।
- पहले चरण में राष्ट्रीय राजमार्गों के पास ग्रामीण क्षेत्रों में गौधाम स्थापित होंगे।
- इनमें स्थानीय निकायों द्वारा एकत्रित निराश्रित गौवंश और गृह विभाग द्वारा जब्त किए गए पशु रखे जाएंगे।
- शासकीय भूमि पर बाड़ा, शेड, जलापूर्ति और बिजली जैसी सुविधाएं उपलब्ध होंगी।
गोधाम के उद्देश्य...
- गौ-आधारित उत्पादों को बढ़ावा देना
- चारा विकास कार्यक्रम को प्रोत्साहित करना
- प्रशिक्षण केंद्र के रूप में विकास करना
- पशुओं की नस्ल सुधारना
- गौसेवा के प्रति जागरूकता फैलाना
- स्थानीय रोजगार सृजन करना
प्रत्येक गौधाम में अधिकतम 200 गौवंश रखने की क्षमता होगी। संचालन की निगरानी जिला और ब्लॉक स्तर की समितियों द्वारा की जाएगी। उत्कृष्ट गौधामों को अगले वर्षों में प्रति पशु प्रतिदिन 20 से 35 रुपए तक का अतिरिक्त अनुदान मिलेगा।
पहले चरण में एनएच के किनारे गौधाम...
राष्ट्रीय राजमार्गों के पास पहले चरण में गौधाम बनाए जाएंगे, ताकि सड़क हादसों में गौवंश की हानि रोकी जा सके। इससे किसानों को फसल नुकसान से राहत मिलेगी और सड़क हादसे भी कम होंगे। आदेश लागू होते ही भूमि चयन और संचालन समितियों का गठन शुरू कर दिया जाएगा।