कोड़ासिया का अमृत सरोवर: महिला स्व-सहायता समूह ने मछली पालन से कमाई की नई मिसाल

रायगढ़। प्रधानमंत्री अमृत सरोवर मिशन के तहत निर्मित तालाब अब केवल जल संरक्षण तक सीमित नहीं रहे, बल्कि ग्रामीणों की आर्थिक उन्नति का माध्यम बन गए हैं। इसका जीवंत उदाहरण रायगढ़ जिले के कोड़ासिया ग्राम का अमृत सरोवर है, जहाँ पद्मावती महिला स्व-सहायता समूह की महिलाएँ मछली पालन के माध्यम से आत्मनिर्भर बन रही हैं।
सफल मछली पालन योजना...
समूह की 10 महिला सदस्यों ने 2.70 एकड़ में फैले तालाब में सामूहिक रूप से मछली पालन शुरू किया। शुरुआती निवेश:
- मछली बीज: 6,000 रुपये
- दाना: 10,000 रुपये
- जाल और मजदूरी: 4,000 रुपये
आय और लाभ...
महिलाओं ने ताजी मछली को साप्ताहिक बाजार और सरोवर किनारे बेचकर 1.50 लाख रुपये की आय अर्जित की, जिससे 1.30 लाख रुपये का शुद्ध लाभ प्राप्त हुआ। प्रत्येक महिला को 13,000 रुपये का लाभांश मिला।
महिला सशक्तिकरण और सामाजिक बदलाव...
मछली पालन ने महिलाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत की और उनके आत्मविश्वास को नया आयाम दिया। अब वे गाँव की अर्थव्यवस्था में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं और अन्य महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गई हैं।

यह पहल केवल व्यवसाय तक सीमित नहीं है, बल्कि आर्थिक स्वावलंबन और सामाजिक बदलाव की शुरुआत है। पहले जहाँ महिलाएँ घरेलू जिम्मेदारियों तक सीमित थीं, अब वे संगठित होकर आय अर्जित कर अपने परिवार और समाज को संबल प्रदान कर रही हैं। कोड़ासिया का अमृत सरोवर आज साहस, मेहनत और महिला सशक्तिकरण का प्रतीक बन चुका है।