SCO के बाद ट्रंप का बदला रुख: क्यों फिर याद आए पीएम मोदी?

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, जो हाल तक भारत को असफल अर्थव्यवस्था बताने और लगातार आलोचना करने में जुटे थे, अब अचानक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति दोस्ताना लहजे में बात करने लगे हैं। सवाल उठ रहा है—क्या यह ट्रंप का हृदय परिवर्तन है या फिर कूटनीतिक रणनीति का हिस्सा?
सोशल मीडिया पर ट्रंप का नरम रुख...
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा कि वह अगले हफ्ते पीएम नरेंद्र मोदी से व्यापारिक बातचीत करेंगे। उन्होंने भरोसा जताया कि भारत-अमेरिका के बीच व्यापारिक वार्ता सफल होगी और दोनों देशों के बीच मौजूद रुकावटें दूर की जा सकेंगी।

इसके जवाब में प्रधानमंत्री मोदी ने भी सकारात्मक प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा—”भारत और अमेरिका स्वाभाविक साझेदार हैं। मुझे विश्वास है कि हमारी वार्ता दोनों देशों की साझेदारी को नई ऊँचाई देगी और भविष्य उज्ज्वल बनाएगी।”
दोस्ती से ठंडे रिश्तों तक...
मोदी-ट्रंप की दोस्ती 2019 के “हाउडी मोदी” इवेंट से चर्चा में आई थी, जब दोनों नेताओं ने सार्वजनिक मंच पर एक-दूसरे को सच्चा मित्र कहा था। लेकिन 2025 में ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में रिश्तों में खटास आने लगी।
- पाकिस्तान पर भारत के सैन्य अभियान के बाद ट्रंप ने सीजफायर का श्रेय खुद को दिया, जिसे मोदी ने संसद में खारिज कर दिया।
- इसके बाद से ट्रंप ने भारत को ‘फेल इकोनॉमी’ तक कह डाला और रूसी तेल खरीद पर भारी टैरिफ लगा दिया।
SCO सम्मेलन और भारत की नई कूटनीति...
स्थिति तब और बदली जब प्रधानमंत्री मोदी ने लंबे अंतराल के बाद चीन जाकर SCO सम्मेलन में हिस्सा लिया। वहां भारत, रूस और चीन की एकजुट तस्वीरों ने अमेरिका में हलचल मचा दी।
- मोदी और पुतिन की गाड़ी में लंबी बातचीत ने स्पष्ट संदेश दिया कि भारत अपने हितों के लिए स्वतंत्र राह अपना रहा है।
- मोदी-शी के साझा बयान में कहा गया—”भारत-चीन साझेदार हैं, प्रतिद्वंद्वी नहीं।”
इन घटनाओं ने अमेरिकी थिंक टैंक और मीडिया में चिंता बढ़ा दी। आलोचना के बीच ट्रंप का अचानक नरम लहजा सामने आया, जिसे विश्लेषक “डैमेज कंट्रोल” मान रहे हैं।
रणनीतिक और आर्थिक दबाव...
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का यह बदलाव अचानक भावनात्मक नहीं, बल्कि रणनीतिक है।
- घरेलू उद्योग और लॉबी भारत पर दबाव बनाने की मांग कर रही है।
- वहीं रणनीतिक स्तर पर अमेरिका भारत को चीन और रूस के प्रभाव से दूर रखना चाहता है।
यही कारण है कि टैरिफ़ की कठोरता के बावजूद ट्रंप व्यापार वार्ता जारी रखने पर मजबूर हैं। भारत भी अपनी स्वतंत्र कूटनीति के साथ बैलेंस बनाए हुए है, जिसमें बहुध्रुवीय (Multi-polar) दुनिया और आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता दी जा रही है।
कुल मिलाकर, ट्रंप और मोदी की कहानी रिश्तों के उतार-चढ़ाव की है। कभी “हाउडी मोदी” वाली दोस्ती और अब SCO की तस्वीरों के बाद रणनीतिक पुनर्संतुलन। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि व्यापार और कूटनीति में भारत-अमेरिका की साझेदारी किस दिशा में आगे बढ़ती है।