भोपाल में धरना-प्रदर्शन और धार्मिक जुलूस के लिए अब जरूरी होगी पुलिस की अनुमति

भोपाल| राजधानी में अब धरना-प्रदर्शन, आंदोलन, रैली, पुतला दहन, पदयात्रा, रथ यात्रा, वाहन रैली, आमसभा, ज्ञापन सौंपना या किसी भी सरकारी भवन का घेराव पुलिस की पूर्व अनुमति के बिना संभव नहीं होगा।
पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्रा ने यह आदेश भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS-2023) की धारा 163(1) के तहत जारी किया है। उन्होंने साफ कहा है कि नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। अब ऐसे आयोजनों के लिए इंटेलिजेंस डीसीपी की अनुमति लेना अनिवार्य होगा।
किन आयोजनों पर लागू होगा नियम?
यह आदेश केवल राजनीतिक और सामाजिक आंदोलनों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि धार्मिक जुलूस और त्योहारों पर भी लागू होगा।
- गणेश विसर्जन
- दुर्गा पूजा विसर्जन यात्रा
- ईद-मिलाद उन-नबी
- रामनवमी
- अन्य धार्मिक पर्वों के जुलूस
कमिश्नर का कहना है कि ऐसे आयोजनों से आम जनजीवन और यातायात प्रभावित होता है। यदि आयोजकों को पूर्व अनुमति लेनी होगी तो सुरक्षा और ट्रैफिक व्यवस्था बेहतर ढंग से की जा सकेगी। बिना अनुमति आयोजन करने पर किसी अप्रिय घटना की जिम्मेदारी आयोजकों की होगी।
किराएदार और यात्रियों की जानकारी भी देना होगी...
सुरक्षा कारणों से अब शहर में:
- किराएदार
- पेइंग गेस्ट
- घरेलू सहायक
- छात्रावासों में रह रहे छात्र
- होटलों में ठहरने वाले यात्री
इन सभी की जानकारी पुलिस को देना अनिवार्य कर दिया गया है।
पुलिस का कहना है कि अपराधी, कट्टरपंथी और अवैध प्रवासी अक्सर आम नागरिकों की आड़ लेकर वारदात को अंजाम देते हैं। चूंकि भोपाल में कई संवेदनशील संस्थान और वीआईपी मौजूद हैं, इसलिए यह व्यवस्था लागू की गई है।