प्रधानमंत्री आवास योजना: नक्सल पीड़ित और आत्मसमर्पित परिवारों के लिए नई उम्मीद की छत

बलरामपुर| प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) सिर्फ एक मकान देने की योजना नहीं है, बल्कि यह उन परिवारों के लिए सम्मान और नई जिंदगी की उम्मीद है, जिन्होंने नक्सल हिंसा का दर्द सहा है। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की पहल पर इस योजना का लाभ नक्सल पीड़ित परिवारों और आत्मसमर्पित नक्सलियों तक पहुँचाया जा रहा है, ताकि वे भयमुक्त होकर सुरक्षित भविष्य की ओर कदम बढ़ा सकें।
बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के जनपद पंचायत शंकरगढ़ के ग्राम पंचायत जोकापाठ निवासी श्रीमती सविता यादव इसका एक जीवंत उदाहरण हैं। सविता यादव के पति लखन लाल यादव मेहनत-मजदूरी कर परिवार का पालन-पोषण करते थे, लेकिन नक्सलियों ने उन्हें पुलिस का मुखबिर बताकर निर्ममता से मौत के घाट उतार दिया। इस घटना ने परिवार को टूटकर रख दिया—बच्चों का भविष्य अधर में लटक गया और सिर पर सुरक्षित छत तक नहीं बची।
इसी कठिन समय में प्रधानमंत्री आवास योजना उनके लिए सहारा बनकर आई। योजना के तहत सविता को आवास स्वीकृत हुआ और उन्होंने समय पर मकान का निर्माण पूरा कर लिया। आज उनके परिवार के पास न सिर्फ पक्का मकान है, बल्कि सुरक्षित जीवन और जीने का नया विश्वास भी है। भावुक होकर उन्होंने कहा—
“प्रधानमंत्री आवास योजना ने हमें सुरक्षित छत और जीवन में नई उम्मीद दी है।”
नक्सल प्रभावित परिवारों के लिए बड़ा कदम
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की विशेष पहल पर केन्द्र सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के अंतर्गत नक्सल हिंसा से प्रभावित परिवारों और मुख्यधारा में लौटे आत्मसमर्पित नक्सलियों के लिए आवासों की स्वीकृति प्रदान की है।
बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में अब तक 6 आत्मसमर्पित नक्सली और 19 नक्सल पीड़ित परिवार इस योजना का लाभ प्राप्त कर चुके हैं। इन मकानों ने परिवारों को न केवल सुरक्षित छत दी है, बल्कि उन्हें समाज में गरिमा और आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने का अवसर भी प्रदान किया है।