Raksha Bandhan 2025: इस साल रक्षाबंधन पर 3 साल बाद बना बेहद शुभ योग, पुरे दिन रहेगा राखी बांधने का शुभ मुहूर्त

रक्षाबंधन का पर्व इस बार 9 अगस्त 2025 को पूरे देश में उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा। खास बात यह है कि इस बार रक्षाबंधन पर भद्राकाल का साया नहीं रहेगा, यानी बहनें सुबह से लेकर शाम तक कभी भी अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांध सकेंगी। पिछले तीन वर्षों से भद्रा की वजह से राखी बांधने में देरी होती रही थी, लेकिन इस बार पूरा दिन शुभ और मंगलकारी रहेगा। ऐसे में यह रक्षाबंधन न केवल रिश्तों को और मजबूत करेगा, बल्कि एक विशेष संयोग के चलते यादगार भी बन जाएगा।
भद्रा काल कब?
इस बार रक्षाबंधन का पर्व बेहद खास रहने वाला है। 9 अगस्त 2025 को पूरे दिन राखी बांधने के लिए शुभ समय रहेगा, क्योंकि भद्राकाल का साया नहीं रहेगा। पूर्णिमा पर आमतौर पर भद्रा रहती है और भद्राकाल में कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है। पिछले तीन साल से यही कारण रहा कि बहनों को राखी बांधने के लिए रात तक इंतजार करना पड़ा। लेकिन इस बार भद्रा 8 और 9 अगस्त की मध्यरात्रि के बाद समाप्त हो जाएगी, जिससे 9 अगस्त को रक्षाबंधन का पूरा दिन शुभ रहेगा।
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त
अब आइए जानते हैं कि राखी बांधने का शुभ मुहूर्त क्या है? रक्षाबंधन के दिन यानी 9 अगस्त 2025 दिन शनिवार को राखी बांधने का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 47 मिनट से शुरू होकर दोपहर 1 बजकर 24 मिनट तक रहेगा।
कौन से शुभ योग
इस बार रक्षाबंधन पर ग्रहों की स्थिति बेहद अनुकूल रहेगी। आमतौर पर पूर्णिमा के दिन भद्रा की उपस्थिति होती है, जो शुभ कार्यों में बाधा मानी जाती है। भद्रा, सूर्य देव की पुत्री और शनि देव की बहन मानी जाती हैं, और उनका वास कभी पृथ्वी, कभी पाताल और कभी स्वर्ग लोक में होता है।
जब भद्रा का वास पृथ्वी पर होता है, तो वह अशुभ मानी जाती है और ऐसे समय में राखी बांधना वर्जित होता है। यही कारण है कि पिछले वर्षों में रक्षाबंधन के दिन भद्रा दोष के कारण बहनों को समय विशेष तक इंतजार करना पड़ा। लेकिन इस बार अच्छी खबर यह है कि भद्रा 8 और 9 अगस्त की मध्यरात्रि में ही समाप्त हो जाएगी, जिससे 9 अगस्त को पूरा दिन राखी बांधने के लिए शुभ रहेगा। इतना ही नहीं, इस रक्षाबंधन पर सर्वार्थ सिद्धि योग, श्रवण और धनिष्ठा नक्षत्र का दुर्लभ संयोग भी बन रहा है, जो इस पर्व को और अधिक मंगलकारी और फलदायी बना देगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, इन योगों में किए गए कार्य शुभ फलदायी होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि लाते हैं। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 22 मिनट से 5 बजकर 04 मिनट तक और अभिजीत मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 17 मिनट से 12 बजकर 53 मिनट तक रहेगा।