आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान, मुख्यमंत्री निवास में आयोजित हुआ स्मृति समारोह…

रायपुर। रायपुर स्थित मुख्यमंत्री निवास में ‘आपातकाल स्मृति दिवस’ के मौके पर लोकतंत्र सेनानियों का सम्मान समारोह आयोजित किया गया। कार्यक्रम में आपातकाल के दौरान लोकतंत्र की रक्षा के लिए जेल जाने वाले सेनानियों को सम्मानित किया गया।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने भाजपा नेता सच्चिदानंद उपासने द्वारा लिखित पुस्तक ‘इमरजेंसी’ का विमोचन किया, जिसमें आपातकाल के दौरान जेल में बिताए 19 महीने के अनुभवों को साझा किया गया है। समारोह में सेनानियों को माला, गमछा और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री साय के साथ विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, मंत्री लखनलाल देवांगन, विधायक मोतीलाल साहू, भाजपा संगठन महामंत्री पवन साय, सांसद और अन्य नेता उपस्थित रहे।
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि आपातकाल की सच्चाई को नई पीढ़ी तक पहुंचाना बेहद जरूरी है। उन्होंने बताया कि उनके परिवार के सदस्य भी उस दौर में जेल में रहे। अपने संबोधन में सीएम साय ने कहा, “हमारे राजनीतिक गुरु स्वर्गीय बालकृष्ण शर्मा जेल गए थे। उनके परिवार को दाने-दाने का मोहताज होना पड़ा। लोकतंत्र सेनानियों के साथ कई ऐसी घटनाएं घटीं।”

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि वर्ष 2008 में डॉ. रमन सिंह ने लोकतंत्र सेनानियों के सम्मान की परंपरा शुरू की थी, जिसे कांग्रेस सरकार ने बंद कर दिया था। भाजपा सरकार ने इसे फिर से शुरू कर न सिर्फ मासिक सम्मान निधि 10 हजार से बढ़ाकर 25 हजार रुपये कर दी, बल्कि कांग्रेस शासनकाल में बंद रहे पांच साल की एकमुश्त राशि भी दी गई है।
सीएम साय ने कहा कि यह कार्यक्रम तभी सार्थक होगा, जब नई पीढ़ी समझेगी कि लोकतंत्र कितना मूल्यवान है। उन्होंने कहा, “इंदिरा गांधी की हठधर्मिता और कुर्सी से चिपके रहने की जिद ने देश पर आपातकाल थोप दिया था, लोगों के मौलिक अधिकार छीन लिए गए थे। हमारी जिम्मेदारी है कि संविधान की आत्मा को जीवित रखें।”