छत्तीसगढ़ आबकारी घोटाला पार्ट-2: नए किरदार, वही पुराना सिंडिकेट पैटर्न, आबकारी विभाग को लाखों की चपत, 40 हजार नकली होलोग्राम जब्त, दो आरोपी फरार…

रायपुर। छत्तीसगढ़ में नकली होलोग्राम घोटाले ने एक बार फिर आबकारी विभाग की नींद उड़ा दी है। अनवर ढेबर, पूर्व मंत्री कवासी लखमा और रिटायर्ड IAS अनिल टुटेजा जैसे बड़े नाम इस घोटाले में पहले ही जेल पहुंच चुके हैं, लेकिन उसी पुराने सिंडिकेट पैटर्न पर अब नए चेहरे एक बार फिर अवैध कारोबार को अंजाम दे रहे हैं। ताज़ा मामला राजधानी रायपुर का है, जहां आबकारी विभाग की टीम ने बीरगांव के एक ढाबे और प्रिंटिंग शॉप पर छापेमारी की। इस दौरान 40 हजार से ज्यादा नकली होलोग्राम स्टीकर, शराब के लेबल और बोतलों के ढक्कन बरामद किए गए।
जांच में सामने आया कि इस गोरखधंधे के पीछे वही पुराने ठेका कर्मी हैं, जो पहले भी आबकारी विभाग में काम कर चुके हैं। इस मामले में संकटमोचन नामक ढाबा संचालक और एक प्रिंटिंग शॉप मालिक गणेश चौरसिया को गिरफ्तार किया गया है। पूछताछ में संकटमोचन ने बताया कि यह पूरा खेल संदीप नाम के एक शख्स ने शुरू किया, जो पहले शराब भट्टी से जुड़े काम करता था। पैसे की जरूरत के चलते संकटमोचन इस धंधे में शामिल हो गया और अपने प्रिंटिंग शॉप वाले जानकार के ज़रिए नकली होलोग्राम तैयार करवाने लगा।
इसके बाद टीम पहुंची उस प्रिंटिंग शॉप पर, जहां गणेश चौरसिया नकली होलोग्राम शीट की कटिंग करता मिला। यहां से 371 शीट्स बरामद हुईं, जिनमें करीब 40,000 स्टीकर्स थे। गणेश ने कबूल किया कि ये होलोग्राम रंजीत गुप्ता के ऑर्डर पर तैयार किए जा रहे थे – जो रेड की भनक लगते ही फरार हो गया। जांच में ये भी सामने आया है कि एक महीने में करीब 70 हजार नकली होलोग्राम बनाए गए, जिनमें से 30 हजार की डिलीवरी पहले ही हो चुकी थी। बाकी 40 हजार 20 अप्रैल को डिलीवर किए जाने थे। इस पूरे खेल में साफ दिख रहा है कि आरोपियों के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है, लेकिन हर कोई एक-दूसरे के संपर्क में जरूर रहा है।
अब बात करें नुकसान की...
नकली होलोग्राम 80 रुपये प्रति स्टिकर की दर से बेचे जा रहे थे। यानी सिर्फ एक महीने में ही आबकारी विभाग को 24 लाख रुपये से ज्यादा का नुकसान पहुंचाया गया। घटना स्थल से देशी शराब की बोतलों के कई कैप्स भी मिले, जिन पर नकली होलोग्राम और QR कोड लगे थे। हैरानी की बात तो यह है कि कुछ कैप्स छत्तीसगढ़ के लोकल प्रीमियम बीयर ब्रांड के भी थे, जिससे साफ है कि ये नेटवर्क केवल देशी शराब तक ही सीमित नहीं है। इसमें बड़े प्लेयर्स के नाम भी सामने आ सकते हैं। फिलहाल रंजीत और संदीप फरार हैं। पुलिस इनकी तलाश में जुटी है। उनके पकड़े जाने के बाद ही इस फर्जीवाड़े की परतें और खुलेंगी।