पैर फिसलने से नदी में गिरी मां व छोटी बहन, 8 साल की परी ने बचाने के लिए नदी में लगाई छलांग
जगदलपुर। रविवार को जिला मुख्यालय जगदलपुर से 40 किलोमीटर दूर बस्तर विकासखंड के ग्राम बाकेल में एक हदयविदारक घटना में मां अपनी दो मासूम बेटियों के साथ नारंगी नदी में बह गईं। बड़ी बेटी को घटनास्थल से दो किलोमीटर दूर ग्रामीणों ने बचा लिया जबकि मां और उसकी ढाई साल की बेटी का देर शाम तक पता नहीं चल पाया था। जिला आपदा प्रबंधन की एसडीआरएफ, नगर सेना की टीम को मां-बेटी की खोज में लगाया गया है। जिला प्रशासन और पुलिस के अधिकारी भी मौके पर पहुंचे थे। स्वजन दोनों की बचने की उम्मीद छोड़ चुके हैं।
घटना के संबंध में गांव के सरपंच दयमन बघेल ने बताया कि उन्हें जो जानकारी मिली है उसके अनुसार बाकेल निवासी चेरोबाई कश्यप (35 वर्ष) तड़के पांच बजे के आसपास घर से अपनी दोनों बेटियों सकीना (ढाई वर्ष) और परी (आठ वर्ष) को साथ लेकर बाकेल के अमड़ीगुड़ा पारा के समीप नारंगी नदी स्थित एनीकट के रास्ते नदी पार कर रही थी। छोटी बेटी को गोद में लेकर मां आगे-आगे चल रही थी और उसके पीछे मां का हाथ पकड़कर परी चल रही थी। पानी एनीकट के ऊपर से बह रहा था। कुछ दूर आगे बढ़ते ही मां का पैर फिसला और वह मासूम सकीना के साथ नदी में गिर गई।
मां और बहन को नदी में गिरते देख परी भी उन्हें बचाने नदी में कूद गई। अंधेरा था इसलिए कोई एक दूसरे को देख नहीं पाया और बहने लगे। एनीकट से लगभग दो किलोमीटर बहने के बाद परी नदी के किनारे की ओर एक झाड़ी को पकड़कर रुक गई। अंधेरा छंटने पर कुंगालगुड़ा पारा के चार पांच ग्रामीण शौच के लिए नदी की ओर गए थे। सकीना के रोने की आवाज सुनकर ग्रामीणों ने नदी से परी को निकाला। परी को नदी से बाहर निकालने वाले स्थानीय युवक बस्तर फाइटर्स का जवान रूपनाथ बघेल ने बताया कि बच्ची डरी हुई थी। परी को घर ले जाकर ग्रामीणों ने उससे गांव व परिवार के लोगों के बारे में जानकारी ली। परी के साथ बाकेल आकर ग्रामीणों ने घटना की जानकारी दी।
पिता कमाने-खाने हैदराबाद गया है
घटना में बाल-बाल बची परी से चर्चा के बाद दुर्घटना को लेकर कुछ बातें सामने आईं। स्वजन तुलसी ने बताया कि चेरोबाई कश्यप के पति देवलाल कश्यप कमाने-खाने एक माह पहले तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद गया हुआ है। यहां घर पर मां अपनी दोनों बेटियों के साथ थी। परी कश्यप सरकारी स्कूल में कक्षा दूसरी की छात्रा है। घटना को लेकर कुछ और ग्रामीणों से चर्चा करने पर जो बातें सामने आई हैं उसके अनुसार नदी के उस पार एक बैगा रहता है। मां अपनी दोनों बेटियों को लेकर झाड़-फूंक के लिए बैगा के यहां जा रही थी। जहां रास्ते में यह बड़ी घटना हो गई। अमड़ीगुड़ा से आमावाल तक नारंगी नदी में लगातार खोजबीन जारी है। ज्ञात हो कि नारंगी नदी घटनास्थल से 18 किलोमीटर दूर इंद्रावती नदी में मिलती है। रास्ते में तीन एनीकट और भी हैं।
बालिका परी को बचाने वाला बस्तर फाइटर्स का जवान रूपनाथ। lसौ: स्वजन
मासूम उम्र में पहाड़ जैसी हिम्मत
घटना में बची आठ साल की मासूम परी की हिम्मत की चर्चा हो रही है। जो अंधेरे में मां और बहन को नदी में गिरते देख उन्हें बचाने नदी में कूद गई। चिल्लाकर लोगों से बचाने की गुहार लगाती रही। नदी के तेज बहाव में दो किलोमीटर बहने के बाद भी उसने हिम्मत नहीं खोया और एक झाड़ी के सहारा लेकर आधा घंटा से अधिक समय तक वहीं फंसी रही। परी को बचाने वाले बस्तर फाइटर्स के जवान रूपनाथ बघेल ने बताया कि परी डरी हुई थी लेकिन उसने गजब की हिम्मत दिखाई। परी ने ग्रामीणों को नदी की ओर आता देख चिल्लाकर बचाने की गुहार लगाई। तुरंत की नदी में उतरकर रूपनाथ व उसके साथियों ने परी को बचा लिया। नदी से बाहर आने के बाद परी ने पूरे घटनाक्रम की जानकारी दी। उसकी हिम्मत की हर कोई प्रशंसा कर रहा है। पूर्व सांसद दिनेश कश्यप भी स्वजनों से मिलने बाकेल पहुंचे थे।