गंगा नदी को प्रदूषण से बचाने MP के 48 जिलों में बनेंगी ‘जिला गंगा समिति’
गंगा को प्रदूषण से बचाने के लिए मध्यप्रदेश के 48 जिलों में ‘जिला गंगा समिति’ का गठन किया जाएगा। ये समितियां जिले से गुजरने वाली यमुना और गंगा की सहायक नदियों (बेतवा, चंबल, सोन, टोंस सहित अन्य) की सेहत सुधारने के लिए निर्णय लेंगी और उनका पालन कराएंगी।
समिति के अध्यक्ष उस जिले के कलेक्टर होंगे, जो सहायक नदियों से गंगा में जाने वाली गंदगी को रोकेंगे और लगातार उसकी निगरानी करेंगे। राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के अंतर्गत गठित राज्य गंगा समिति की बुधवार को मंत्रालय में मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस की अध्यक्षता में आयोजित पहली बैठक में यह निर्णय लिया गया।
समिति ने इंदौर की खान, उज्जैन की शिप्रा, ग्वालियर की मुरार, चित्रकूट की मंदाकिनी और मंदसौर की शिवना नदी की स्वच्छता के लिए स्वीकृत परियोजनाओं की समीक्षा की। नगरीय विकास एवं आवास विभाग ने मई 2023 में इन नदियों के प्रस्ताव भेजे थे।
मिशन के अंतर्गत इन परियोजनाओं के लिए 704 करोड़ रुपये स्वीकृत हो चुके हैं। इस राशि से मंदाकिनी और शिवना नदी में गिरने वाले गंदे नालों की दिशा बदलना है, तो घाटों का निर्माण भी किया जाना है। वहीं अन्य स्थानों पर भी घाटों का निर्माण और नदियों की सफाई की जानी है। समिति उन सभी नदियों पर नजर रखेगी, जिनका पानी यमुना या गंगा नदी में जाता है। गंगा या यमुना की सहायक नदियों पर हो चुके अतिक्रमण को भी हटाया जाएगा। वहीं नया अतिक्रमण अब नहीं होने दिया जाएगा।
पौधारोपण की कार्ययोजना बनाए वन विभाग
मुख्य सचिव ने कहा कि वन विभाग गंगा-यमुना की सहायक नदियों के दोनों किनारों पर दो-दो किमी तक पौधारोपण की कार्ययोजना भी बनाए। किनारों पर उपलब्ध सरकारी और निजी भूमि पर पौधारोपण किया जाएगा। वन विभाग के अधिकारियों ने बताया कि 48 हजार हेक्टेयर में पौधारोपण होना है।
इस पर करीब 542 करोड़ रुपये खर्च होंगे, जो हमारे पास नहीं है। हालांकि विभाग की विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत सात हजार हेक्टेयर में पौधारोपण किया जा चुका है। मुख्य सचिव ने कहा कि हर जिले की कार्ययोजना तैयार करें और प्रस्ताव मेरे माध्यम से भारत सरकार को भेजें। उन्होंने उदाहरण भी दिया कि नगरीय विकास विभाग ने पांच प्रस्ताव भेजे थे, सभी स्वीकृत हुए हैं।