
नई दिल्ली। देश की सर्वोच्च न्यायालय ने बलात्कार के आरोप का सामना कर रहे एक आरोपी को अग्रिम जमानत दे दी है। जहां पीड़िता ने आरोप लगाया था कि आरोपी ने शादी का झांसा देकर उसके साथ यौन संबंध बनाया है।
न्यायमूर्ति राजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेसा ने कहा हमने कार्यालय की रिपोर्ट की जांच की है और प्राथमिकता में किए गए दावो का भी अवलोकन किया है विचार करने पर हम अपीलकरता मुकेश कुमार सिंह को अग्रिम जमानत का लाभ इस निर्देश के साथ देते हैं कि अपीलकर्ता के गिरफ्तार होने की स्थिति में उसे गिरफ्तार करने वाले अधिकारी द्वारा निचली अदालत द्वारा निर्धारित नियमों और शर्तों पर जमानत पर रिहा किया जाएगा।
इसके अलावा अपीलकर्ता दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 438(2) के आदेश का पालन करेगा। जयपुर में दर्ज प्राथमिक में लगाए गए आरोपों में कहा गया है कि आरोपी ने पीड़िता से शादी का वादा कर कई बार शारीरिक संबंध बनाएं। याचिकाकर्ता ने राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देते हुए अपराधिक वकील नामित सक्सेना के माध्यम से शीर्ष अदालत की ओर रुख किया।
खंडपीठ ने कहा अपीलकर्ता को अग्रिम जमानत देने के मामले की योग्यता पर राय की व्यक्ति के रूप में नहीं माना जाएगा। विविध याचिका राजस्थान के उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित जयपुर में बैच इस आदेश से प्रभावित हुए बिना योग्यता के आधार पर और कानून के अनुसार तय किया जाएगा। एडवोकेट सक्सेना ने तर्क दिया कि यदि पुरुष साथी प्रेमलाप (रिलेशनशिप) के बाद बाहर निकलने का विकल्प चुनता है तो एक जोड़े द्वारा एक लंबे रोमांटिक रिश्ते में यौन संबंध बलात्कार की श्रेणी में नहीं आएगा। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि यदि पुरुष साथी एक रोमांटिक रिश्ते से बाहर निकलने का विकल्प चुनता है और शादी में उसकी दिलचस्पी नहीं है तो प्रेम की अवधि के दौरान संभोग को हर समय सहमति के बिना नहीं माना जा सकता या रिश्ते में खटास आने के बाद इसे बलात्कार नहीं कहा जा सकता है।
शीर्ष अदालत ने कहा अग्रिम जमानत देने के आवेदन को खारिज करने वाले आदेश को अलग रखा गया है और उपरोक्त शर्त में अपील की अनुमति दी जाती है लंबित आवेदन यदि कोई हो तो उसे निस्तारण किया जाएगा।