राज्य शासन की रिट याचिका हाई कोर्ट ने की खारिज
बिलासपुर। राज्य शासन की रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने सिंगल बेंच के फैसले को सही ठहराते हुए शासन की अपील खारिज कर दी है। कोर्ट ने राज्य शासन को याचिकाकर्ता शिक्षकों को एरियर्स की राशि में बनने वाले ब्याज की राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया है। कोर्ट के निर्देश से याचिकाकर्ता शिक्षकों को राहत मिली है। कोर्ट ने याचिकाकर्ता शिक्षकों को पुनरीक्षित वेतनमान के एरियर्स पर 10 प्रतिशत ब्याज देने का निर्देश दिया है।
अविनेश कुमार नामदेव, आलोक कुमार बारा, विजेंद सिंह, संध्या किरण, ज्योतिसिना कुजूर, मनोरमा कुजूर एवं लाला सिंह व्याख्याता (एलबी),शिक्षक (एलबी) कोरिया जिला में कार्यरत है। पूर्व में जिला पंचायत कोरिया के कर्मचारी थे एवं उसके पश्चात् शिक्षा विभाग में संविलियन हुआ था और शासन के परिपत्र के अनुसार उन्हें आठ वर्ष पूर्ण होने पर पुनरीक्षित वेतनमान का लाभ दिया गया, किंतु एरियर्स राशि का भुगतान नहीं किया गया।
एरियर्स राशि की ब्याज सहित भुगतान की मांग को लेकर शिक्षकों ने अधिवक्ता अजय श्रीवास्तव के माध्यम से हाई कोर्ट में याचिका दायर की। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने चार महीने के भीतर एरियर्स सरािश का भुगतान करने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने यह भी कहा था कि भुगतान ना करने की स्थिति में पात्रता दिनांक से भुगतान दिनांक तक 10 प्रतिशत ब्याज याचिकाकर्ता को देना होगा।
हाई काेर्ट के निर्देश के बाद शिक्षा विभाग ने दो वर्ष बाद याचिकाकर्ता शिक्षकों को एरियर्स का भुगतान तो किया पर कोर्ट के निर्देशानुसार ब्याज की राशि नहीं दी। कोर्ट के आदेश की अवहलेना करने के साथ ही राज्य शासन ने सिंगल बेंच के फैसले को रिट याचिका के माध्यम से चुनौती देते हुए अपील पेश कर दी। रिट याचिका में राज्य शासन ने बताया कि अंतरविभागीय प्रक्रिया में समय लगने के कारण याचिकाकर्ता शिक्षकों को एरियर्स के भुगतान में विलंब हुआ है। राज्य शासन ने यह भी कहा कि निर्धारित अवधि के बाद ब्याज का भुगतान करने का सिंगल बेंच का आदेश न्यायोचित नहीं है। लिहाजा याचिकाकर्ता शिक्षक ब्याज के हकदार नहीं है।
याचिकाकर्ताओं ने अपने जवाब में ये कहा
याचिकाकर्ता शिक्षकों की ओर से पैरवी करते हुए अधिवक्ता अजय श्रीवास्तव ने कहा कि यह उनके वेतन की राशि है। वर्ष 2020 से एरियर्स की पात्रता है। कोर्ट ने चार महीने के भीतर भुगतान का आदेश दिया था। कोर्ट के आदेश के बाद राज्य शासन ने दो साल में एरियर्स की राशि का भुगतान किया है। इसी तरह के प्रकरण में विभाग के कर्मचारियों को ब्याज का भुगतान किया गया है। शिक्षकों के प्रकरण में कोर्ट के आदेश भी ब्याज की राशि नहीं दी गई है। भुगतान करने के बजाय राज्य शासन ने सिंगल बेंच के फैसले को चुनौती दे दी है।
रिट याचिका खारिज,देना होगा ब्याज
मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने राज्य शासन की रिट याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने सिंगल बेंच के फैसले को सही ठहरात हुए याचिकाकर्ता शिक्षकों को ब्याज की राशि का भुगतान करने का निर्देश दिया है।