ग्राम पंचायत मुड़ागांव मे आहाता निर्माण मे हुआ बंदरबाट, निर्माण राशि से नहीं कराया कार्य…

गरियाबंद। जिले के देवभोग विकासखंड के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत मुड़ागांव में सरपंच सचिव के द्वारा अहाता निर्माण के लिए निकाली गई राशि का अहाता निर्माण करना छोड़ उस राशि को सरपंच सचिव के द्वारा लगातार दुरुपयोग करने की बातें सुर्खियों में है। बता दे ग्राम पंचायत गुड़ागांव के सचिव के द्वारा 15वे वित्त से आहता निर्माण हेतु दो लाख रुपए कि राशि आहरण कर चुके हैं। लेकिन आहता निर्माण करना छोड़ उस राशि को सरपंच सचिव के द्वारा अपने ही जेब भरने में तुले हुए हैं।
बता दे ग्राम पंचायत के विकास हेतु सरकार लाखों रुपए आवंटित करती है। और पानी कि तरह पैसा बहा रही हैं ताकि पंचायतों में चहमुखी विकास हो सके। और पंचायतो में स्थित हरेक व्यक्ति को इसका सीधा लाभ पहुंच सके। पंचायत विकास का गाथा लिख सके। लेकिन ग्राम पंचायत मुंडा गांव के सरपंच सचिव के द्वारा सरकारी योजनाओं को धरातल में लाने के बदले केवल कागजों में ही विकास करना उचित समझ रहे हैं। व ग्रामीणों के आंखों में धूल झोंक कर लाखों रुपए की राशि को आहरण कर कार्य करना अब तक उचित नहीं समझ रहे हैं।और विकास केवल कागजों में ही बनता दिख रहा है।
बता दे ग्राम पंचायत मुंडागांव के सचिव देवानंद बीसी के द्वारा अहाता निर्माण हेतु 15वे वित्त से दिनांक 10/10/ 2022 को दो लाख रुपए की राशि आहरण की गई है।लेकिन मुडागाव के सचिव के द्वारा आहता निर्माण करना तो छोड़ उस स्थल पर एक बोरी सीमेंट व ईट रखना भी अब तक मुनासिब नहीं समझा। और उस राशि को आहरण किए करीब दो माह बीत चुके हैं लेकिन ग्राम पंचायत मुड़ा गांव के सचिव देवानंद बीसी के द्वारा अब तक पंचायत भवन में आहता निर्माण करना मुनासिब नहीं समझा। और उस राशि को अब तक वह अपने निजी कार्य में ही खर्च करते दिख रहे हैं। जिसके चलते ग्राम पंचायत गुड़ागांव में अब तक आहता निर्माण होना शुरू नहीं हो पाया है।
अधिकारी के सतत मॉनिटरिंग व निरीक्षण का अभाव…
विभागीय अधिकारी कर्मचारी के सतत मॉनिटरिंग व निरीक्षण के अभाव के चलते बेखौफ होकर ग्राम पंचायत सचिव के द्वारा आहरण किए गए राशि को अब तक कार्य न करना इस बात की तरफ इसरा कर रहा हैं। और अब तक सचिव सरपंच के द्वारा बिना किसी डर भय के कार्य को न करना और सरकारी योजनाओं का दुरपयोग करना स्पष्ट पता चल रहा है कि विभागीय अधिकारी क्षेत्र का लगातार मॉनिटरिंग व निरीक्षण नहीं कर रहे हैं। जिसके चलते इस तरह के भारी भरकम भ्रस्टाचार को सचिव के द्वारा अंजाम दे रहे हैं।इसमें कहीं ना कहीं विभाग के अधिकारी भी जिम्मेदार है। अगर विभागीय अधिकारी की निरंतर निरीक्षण व निगरानी होती तो इस तरह के भ्रष्टाचार को सचिव सरपंच अंजाम नहीं दे पाते।
विशेष सूत्रों से पता चलता है कि विभागीय कर्मचारी अधिकारी के साथ परसेंटेज के खेल के चलते ही इस तरह के भ्रष्टाचार को सरपंच सचिव अंजाम दे रहे हैं । परसेंटेज के खेल के चलते ही धरातल में जो विकास होने को रहता हैं वह केवल कागजों तक ही सीमित रह जाता है। और विकास पूरी तरह से अवरुद्ध हो जाता है। सचिव सरपंच लगातार इस तरह के भ्रष्टाचार को अंजाम देते आ रहे हैं।
अब देखना यह होगा कि इस खबर के प्रकाशन के बाद विभागीय अधिकारी पंचायत के जिम्मेदार कर्मचारी पर किस प्रकार लगाम लगा पाती हैं व इनको ऊपर किस तरह की कार्यवाही होती है ।और इस भारी-भरकम भ्रष्टाचार के ऊपर विभागीय अधिकारी किस प्रकार लगाम लगा पाती है।
अगले अंकों में इस भारी-भरकम भ्रष्टाचार के खिलाफ परत दर परत होगा खुलासा...
जब सचिव देवानंद बीसी से इस सम्बंध में जानकारी लेना चाहि तो उनका फोन बंद बताए। बता दें सचिव देवानंद बीसी अधिकतर फोन बंद रखते हैं। फोन बंद करने कि वजह से जनपद सीईओ उनको फटकार भी लगा चूके है।