प्रयाग साहित्य समिति की मासिक काव्य गोष्ठी में कवियों ने पढ़ी कविताएं…

मजदूर दो वक्त की रोटी के लिए अपना खून जलाते हैं...
राजिम। स्थानीय प्रयाग साहित्य समिति द्वारा गायत्री मंदिर के सभागार में अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रयाग साहित्य समिति के अध्यक्ष टीकमचंद सेन ने किया। मौके पर उपस्थित व्यंग्यकार संतोष सेन ने कहा कि मजदूर राष्ट्र की इकाई है नव निर्माण से लेकर सारे काम उनके ही बलबूते से होते हैं। उन्होंने श्रद्धांजलि से संबंधित व्यंग्य देकर माहौल बना दिया। नई कविता के धनी नूतन साहू ने दर्शन की कविता सुना कर भाव विभोर कर दिया। उन्होंने माता पिता की सेवा से लेकर जीवन की सच्चाई को उजागर किया पंक्ति देखिए- बचपन खोया खेल-खेल में, भरी जवानी में ख्याल ना आया। माता पिता गुरु का, आशीष लेना बाकी है। आहिस्ता चल ए मेरी जिंदगी कुछ फर्ज निभाना बाकी है।
युवा शायर जितेंद्र साहिर ने मजदूरों की व्यथा को उजागर करते हुए पंक्ति पढ़ी। प्रस्तुत है कुछ अंश-दो वक्त की रोटी के लिए अपना खून जलाते हैं तब जाकर हाथ हमारे बस यह दो निवाला आते हैं। युवा कवि तुकाराम कंसारी ने अपनी रचना में कहा कि मजदूरों के बिना भोजन मिलना मुश्किल है वह भारत भूमि के दुलरवा बेटा हैं उन्होंने पंक्ति पढ़कर जिसे स्पष्ट किया-श्रम करने वालों के हाथ दिखते हैं सदैव खेतों व खानों में, मकान, दुकान व कारखानों में। युवा कवि संतोष कुमार सोनकर मंडल ने छत्तीसगढ़ की महिमा का गुणगान करते हुए तुकबंदी में कविता प्रस्तुत की और सब को भावविभोर कर दिया।
चार लाइनें देखें-देश दुनिया के नक्शे पर छा रहा है अपना छत्तीसगढ़, विकास के रास्ते तय करते औरों से सबसे आगे बढ़। गीतकार टीकम चंद सेन बांसी की महिमा बताते हुए कविता पढ़ी-कहां जाबे गंगा जमुना कहां मथुरा काशी, बड़े फजल सुत उठके दमोर बोरे बासी। इस अवसर पर रामायण टीकाकार उमेश साहू ने रघु राम की महिमा का गुणगान किया कार्यक्रम का संचालन नूतन साहू ने किया तथा आभार प्रकट संतोष सेन ने किया।